भोपाल (नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में अफ्रीकी चीता के आने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। यानी चीता ने एशिया की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। 25 दिन से कूनो पालपुर में चीता के लिए माकूल परिस्थितियों का अध्ययन कर रहे भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के दल की प्रारंभिक रिपोर्ट आ गई है। दल ने कूनो पालपुर में कुछ सुधार करने की सिफारिश की है। इसका आशय यह है कि चीता के लिए यह जगह सही है।
दल ने घास मैनेजमेंट, मैदानों में मौजूद कुओं को जाली लगाकर ढंकने, मैदानों में अवरोध बनने वाली खंतियों की भराई और कंटीली झाड़ियों की छंटाई करने की सिफारिश की है। इस आधार पर पार्क प्रबंधन ने वार्षिक कार्ययोजना तैयार कर वन्यप्राणी मुख्यालय के माध्यम से केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेज दी है। प्रबंधन ने 22 करोड़ रुपये की मांग की है। दल अभी तीन हफ्ते और रुकेगा।
सुप्रीम कोर्ट की साधिकार समिति की उप समिति की सिफारिश और राज्य सरकार की सहमति के बाद कूनो पालपुर चीता परियोजना के लिए तैयार है। अब यहां चीता की जरूरत के हिसाब से व्यवस्थाओं का आकलन किया जा रहा है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. वायबी झाला के नेतृत्व में आए विशेषज्ञों का दल 25 दिन से यहां अध्ययन कर रहा है।
अफ्रीका से लाने के बाद चीतों को सीधे जंगल में नहीं छोड़ा जा सकता है। उनके स्वास्थ्य का परीक्षण होगा और उन्हें यहां की जलवायु में घुलने-मिलने का वक्त दिया जाएगा। दल ने इसके लिए पार्क में पांच वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विशेष बाड़ा तैयार करने, चार से पांच फीट ऊंची घास की ऊंचाई तीन फीट तक रखने, घास के मैदानों में बनी पत्थर की दीवारों को हटाने, गहरी खंतियों का भराव करने, पार्क से शिफ्ट किए गए
गांवों में मौजूद कुओं को जाली लगाकर बंद करने, कंटीले पेड़ों की टहनियां छांटने और कंटीली झाड़ियों को व्यवस्थित करने की सिफारिश की है। पैसा मिलते ही शुरू होगा काम विशेषज्ञों की सिफारिश के आधार पर पार्क प्रबंधन ने 22 करोड़ की कार्ययोजना राज्य शासन को भेजी थी, जिसे केंद्र सरकार को भेजा गया है। यह राशि मंजूर होते ही पार्क में चीता के अनुकूल व्यवस्थाएं जुटाने का क्रम शुरू हो जाएगा।
दूसरे क्षेत्रों का भी अध्ययन
कूनो के बाद विशेषज्ञ दल माधव नेशनल पार्क शिवपुरी, नौरादेही सागर और गांधी सागर अभयारण्य मंदसौर-नीमच का अध्ययन शुरू करेगा। साधिकार समिति की उप समिति ने इन क्षेत्रों का भी दौरा कर उनकी जलवायु चीता के अनुकूल बताई थी।
इनका कहना
अध्ययन दल की सिफारिश के आधार पर 22 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्ययोजना तैयार की है, जो केंद्र सरकार को भेजी गई है। राशि मिलने के बाद काम शुरू किए जाएंगे।
-सीएस निनामा, संचालक, सिंह परियोजना ग्वालियर