बिहार के जालसाज गिरोह ने बैंक खाता संबंधी सुरक्षा खामियों को किया बेनकाब, सैकड़ों फर्जी खाते खोल की ठगी
पुलिस की छानबीन में यह सामने आया कि बैंकों के अधिकारी-कर्मचारियों ने नियमों को ताक पर रखते हुए खाते खोले। बाद में गिरोह के सदस्यों ने इन बैंक खातों को साइबर ठगों को मोटी रकम में बेच दिया। अंतत: साइबर ठगी के शिकार हुए आम लोगों के रुपयों के लेन-देन के लिए इन्हीं खातों का उपयोग किया गया।
By Ravindra Soni
Publish Date: Wed, 20 Nov 2024 08:26:24 AM (IST)
Updated Date: Wed, 20 Nov 2024 08:26:24 AM (IST)
आधार के जरिए ई-केवाईसी (प्रतीकात्मक चित्र) HighLights
- फर्जी दस्तावेजों का सत्यापन कराए बगैर पांच राज्यों में खोल दिए गए 1800 से अधिक बैंक खाते।
- जबकि आरबीआई की एडवाइजरी, बैंक में खाता खुलवाने के लिए ग्राहक की ई-केवाइसी जरूरी।
- देशभर में साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम देने वाले ठग इन्हीं बैंक खातों का करते थे उपयोग।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। फर्जी दस्तावेजों से बैंक खाते खुलवाकर उन्हें ठगों को बेचने वाले बिहार के जालसाज गिरोह ने देशभर के बैंकिंग सिस्टम में ग्राहकों के खातों को लेकर सुरक्षा खामियों को बेनकाब कर दिया है। गिरोह के सदस्य आधार कार्ड में फोटो और पता बदलकर फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे। इन्हीं दस्तावेजों से दो वर्षों में पांच राज्यों में 1800 से अधिक बैंक खाते खुलवा चुके थे। बैंक के कर्मचारियों ने भी दस्तावेजों का सत्यापन किए बगैर खाते खोल दिए।
वह भी तब जब, भारतीय रिजर्व बैंक की गाइडलाइन बैंकों में खाते खुलवाने से पहले ई-केवाइसी के माध्यम से ग्राहकों के दस्तावेजों का सत्यापन जरूरी बताती है।
बैंकों के अधिकारी-कर्मचारियों ने नियमों को ताक पर रखते हुए खाते खोले। बाद में गिरोह के सदस्यों ने इन बैंक खातों को साइबर ठगों को मोटी रकम में बेच दिया। अंतत: साइबर ठगी के शिकार हुए आम लोगों के रुपयों के लेन-देन के लिए इन्हीं खातों का उपयोग किया गया।
ऐसे किया फर्जीवाड़ा
पुलिस जांच में सामने आया है कि भोपाल और इंदौर में गिरोह के सदस्यों ने सरकारी और निजी क्षेत्र के सभी बैंकों में खाते खुलवाए हैं। यह गिरोह बैंक की उन शाखाओं को निशाने पर लेता था, जहां अधिक भीड़ होती थी। यूनियन बैंक एसोसिएशन के महासचिव देवेंद्र खरे ने बताया कि खाते खुलवाने के लिए अब बैंक मित्रों को नियुक्त किया गया है। उन्हें हर खाते पर 50 से 100 रुपये का कमीशन दिया जाता है। कई बार सर्वर की समस्या के चलते ई-केवाईसी नहीं हो पाती है तो कई बार उपभोक्ता के मना करने पर बैंक मित्र केवाईसी की प्रक्रिया को पूरा किए बगैर खाते खोल देते हैं। बैंक के अधिकारी भी इस पर कोई एक्शन नहीं लेते हैं। बैंकिंग सिस्टम की इस लापरवाही के सामने आने के बाद भोपाल पुलिस आयुक्त बैंक के प्रतिनिधियों के साथ आज बैठक करने वाले हैं।
क्या होता है ई-केवाईसी
नो योर कस्टमर (केवाईसी) ग्राहक की पहचान सत्यापित करने की एक प्रक्रिया है। किसी का बैंक में खाता तब तक नहीं खुल सकता, जब तक आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड अथवा मनरेगा कार्ड में से कोई एक न हो। अब अन्य दस्तावेज के साथ आधार को अनिवार्य कर दिया गया है। आरबीआई का कहना है कि दस्तावेज लेने के बाद ग्राहक का ई-केवाईसी किया जाना चाहिए। इसके तहत आधार कार्ड से लिंक नंबर पर ओटीपी भेजा जाता है। ग्राहक वह ओटीपी बताएगा, इसके बाद पहचान स्थापित होती है और खाता खोला जाता है।
अब सी-केवाईसी भी होने लगा
बैंक अब सी-केवाईसी भी प्रस्तावित करने लगे हैं। इसमें सेंट्रल नो योर कस्टमर (सीकेवाईसी) पोर्टल पर ग्राहक का पंजीयन होता है। इसमें कंप्यूटर जनित 14 अंकों का नंबर उपभोक्ता को प्रदान किया जाता है। इसी नंबर का उपयोग कर और आधार ओटीपी के माध्यम से वह भविष्य में किसी भी बैंक में खाता खुलवा सकता है।
आरबीआई की एडवाइजरी के अनुसार बैंकों को केवाईसी के माध्यम से दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया को पूरा करने के बाद ही खाता खोलना चाहिए। सरकारी बैंकों में फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर बैंक खाते खुलवाने के मामलों में जांच होगी।
- तिरेंद्र सिंह जीरा, कार्डिनेटर स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी