अंजली राय, भोपाल। प्रदेश में स्कूल शिक्षा को सुदृढ करने के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, बावजूद इसके अभी भी हजारों स्कूल बुनियादी सुविधाओं से दूर हैं। हालात यह हैं कि अनेक स्कूलों में बिजली, पानी और शौचालयों तक की व्यवस्था नहीं है। यह तब है, जबकि शौचालयों और हैंडवाश यूनिट के लिए केंद्र से अलग बजट स्वीकृत किया जाता है। इसके बाद भी हजारों स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए हाथ धोने की कल्पना करना ही मुश्किल है, क्योंकि उन्हें शौच आदि के लिए आज भी स्कूल से बाहर जाना होता है।
राजधानी भोपाल में ही सरकारी स्कूल बदहाल हैं। माध्यमिक स्तर तक के कई स्कूलों में कक्ष नहीं होने की स्थिति में एक ही बरामदें में सभी कक्षाएं लगती हैं। पांच सौ से अधिक ऐसे स्कूल हैं, जिनमें बिजली ही नहीं है। ऐसे में स्मार्ट क्लास और कंप्यूटर शिक्षा का सपना भला कैसे पूरा होगा। सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जिनमें क्लासरूम तो हैं लेकिन उनकी स्थिति जर्जर हो चुकी है। वहीं कई स्कूलों के विद्यार्थियों को शौचालय या पेयजल के लिए आज भी स्कूल से बाहर जाना होता है। ऐसे में राज्य शिक्षा केंद्र ने एक बार फिर स्वच्छ भारत कोष को 8500 स्कूलों में शौचालयों के निर्माण के लिए 84 लाख रुपये का बजट स्वीकृत करने का प्रस्ताव भेजा है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देना है। स्मार्ट क्लास रूम और कंप्यूटर की शिक्षा को अनिवार्य किया गया है। अब ऐसे में जब स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं होगी तो स्मार्ट क्लास की कल्पना नहीं की जा सकती है। प्रदेश के 32541 सरकारी स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है।
पांच प्रमुख शहरों के सरकारी स्कूलों में इन मूलभूत सुविधाओं की कमी
जिला बिजली नहीं जर्जर क्लास रूम शौचालय हैंडवाश पीने का पानी
भोपाल-- 538 -- 616 -- 56 -- 151 -- 26
बड़वानी-- 2344 -- 1047 -- 24-- 169 -- 8
धार-- 2253 -- 1354 -- 206 -- 1206 -- 79
आलीराजपुर-- 2058-- 1101-- 864-- 1372-- 35
मुरैना-- 1890-- 695-- 116-- 1016-- 158
प्रदेश में शासकीय प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों की संख्या- 98,963
हायर सेकंडरी स्कूल -- 8,555
बच्चों की संख्या -- एक करोड़ 10 लाख
शिक्षकों की संख्या-- 3.50 लाख
शिक्षकों के खाली पद- 70 हजार
आंकड़ों से समझें प्रदेश के स्कूलों की बदहाली
बिजली की व्यवस्था नहीं --36,498
क्लासरूम नहीं है-- 1498
कम क्षतिग्रस्त क्लास रूम -- 22,361
अधिक क्षतिग्रस्त क्लास रूम-- 19,465
बदहाल शौचालय -- 11,409
बालकों के लिए नहीं है शौचालय--3127
बालिकाओं के लिए नहीं है शौचालय--2022
पीने का पानी का अभाव-- 1520
हैंडवाश यूनिट नहीं बने--20,608
हैंडवाश नहीं है -- 34553
पुस्तकालय नहीं-- 7634
खेल मैदान नहीं है--32541
दिव्यांग बालकों के लिए नहीं है शौचालय--93,166
दिव्यांग बालिकाओं के लिए नहीं है शौचालय--94238
दिव्यांग बच्चों के लिए रैंप नहीं है-- 14130
दिव्यांग बच्चों के लिए हैंडरेल वाले रैंप नहीं है--50,855
रेनवाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा नहीं है-- 91,846
किचन गार्डन नहीं है-- 87,868
विज्ञान प्रयोगशाला नहीं है-- 95,102
सरकारी स्कूलों में जो भी कमियां हैं, उन्हें जल्द दूर करने का प्रयास जारी है। स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था करने के लिए बजट का प्रस्ताव भेजा गया है। अन्य सुविधाओं को भी प्राथमिकता से पूरा किया जाएगा।
- धनराजू एस, संचालक, राज्य शिक्षा केंद्र