Bhopal News: प्राचीन गोंड महल का लौटे वैभव तो होगा असल जगदीशपुर
जगदीशपुर में गोंड शासकों की यादें समेटे हुए हैं ऐतिहासिक धरोहरें। 11वीं सदी के समय का है गोंड महल।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sat, 21 Jan 2023 03:18:29 PM (IST)
Updated Date: Sat, 21 Jan 2023 03:18:29 PM (IST)
भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। राजधानी के सबसे प्राचीन ऐतिहासिक गांव इस्लाम नगर का नाम भले ही 308 वर्ष बाद फिर जगदीशपुर होने वाला है, लेकिन वह अब भी अपने वैभव को दोबारा से पाने के लिए इंतजार कर रहा है। इस्लाम नगर में ऐतिहासिक धरोहरें स्थापित हैं, जिनमें रानी महल, चमन महल और गोंड महल शामिल है। रानी और चमन महल की तो पुरातत्व विभाग द्वारा समय -समय पर देखरेख की जाती है, जिससे यह पर्यटकों के लिए दर्शनीय बने हुए हैं। वहीं गोंड महल में विभाग द्वारा मरम्मत कार्य तो कराया गया, लेकिन वह अब भी अपने वैभव को नहीं पा सका है। गोंड महल का वैभव लौटने पर ही इस्लामनगर असल जगदीशपुर होगा। इतिहासकारों की मानें तो गोंड महल 11वीं सदी के समय का है, यहां पर मंदिर-मूर्तियों के अवशेष मिलते हैं। इस तरह यह महल गोंड शासकों की यादें समेटे हुए है।
मंदिर के मिलते हैं अवशेष, मूर्तियां महल के बाहर रखीं
इतिहासकार पूजा सक्सेना ने बताया कि जगदीशपुर (इस्लामनगर) का इतिहास 11वीं सदी का है। यहां परमारकालीन अवशेष मिलते हैं। चमन महल के बाहर ही प्राचीन काल की मुर्तियों के खंडित अवशेष रखे हुए हैं। ऐसा लगता है कि यहां प्राचीन काल में भगवान जगदीश का कोई मंदिर रहा होगा। परमारों के शासन के बाद यहां गोंड राजाओं का शासन हुआ। यह तब की बात है, जब गढ़ा मंडला जबलपुर में राजा सग्राम शाह का शासन था। उनके बाद राजपूत नरसिंह देवड़ा का शासन रहा, इन्हीं के शासन के समय से ही दोस्त मोहम्मद खान ने इसे अपने धीन करने की कोशिश शुरू कर दी थी। उसने वर्ष 1718 में जगदीशपुर पर अपना शासन कर लिया था और इसका नाम बदलकर इस्लामनगर रख दिया था। यह काफी पुराना किला है, दोस्त मोहम्मद खान के बेटे को हैदराबाद के निजाम ने उठा लिया था। उसने हैदराबाद का चिह्न यहां लगाने की शर्त पर बेटे को छोड़ा था। इस घटना के बाद ही महल के ऊपर दो मछली का चिह्न आज भी बना हुआ है।
समतल भूमि पर बना किला बेहद खास
इतिहासकार ने बताया कि भोपाल के समीप स्थित चमन, रानी और गोंड महल कई खासियतों को समेटे हुए हैं। अनेक जगहों पर किले, महल पहाड़ियों पर बने हुए हैं, लेकिन यह किले समतल भूमि पर बने हुए हैं। इनकी खासियत यह है कि सुरक्षा के इंतजाम चारों तरफ से नदी और नहरों के द्वारा किए गए हैं। यह जल सुरक्षा का घेरा गोंड शासन काल का ही है।
चहारदीवारी उठाकर कर दिया बंद, पर्यटक अब भी अंजान
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुरातत्व विभाग ने रानी और चमन महल के साथ ही गोंड महल को भी संरक्षित किया था। विभाग ने रानी और चमन महल में तो समय-समय पर मरम्मत कार्य कराया, लेकिन गोंड महल पर ज्यादा ध्यान नहीं गया। इस वजह से इसकी रौनक चली गई और यह एक खंडहर में तब्दील होता चला गया। नतीजतन इसके चारों तरफ दीवार उठाकर इसके मुख्य द्वार पर ताला डालकर बंद कर दिया है। इस महल के बारे में यहां आने वाले पर्यटक भी कम ही जानते हैं। यहां तक की असामाजिक तत्वों ने इस महल का मुख्य मार्ग पर लगा सूचना बोर्ड तक हटा दिया है।
गोंड महल बहुत ही सुंदर और ऐतिहासिक इमारत है। जगदीशपुर नाम इससे जुड़ा हुआ है। इसमें कई खासियत है। पानी के फव्वारे हैं। गर्म पानी के विशेष इंतजाम हैं। इसके आसपास अतिक्रमण होने की वजह से इसे बंद किया गया था। इसके बाद पर्यटन विभाग को इसकी उपयोगिता समझ में आई है। इसे पर्यटन विकास निगम को सौंपा जाना है। वही इसको उपयोग के अनुसार विकसित करेगा।
- प्रकाश परांजपे, उप संचालक, पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय