Bhopal News :भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। राजधानी के लिए गंदगी का दाग बन चुकी भानपुर खंती को चार साल पहले बंद किया जा चुका है। अब यहां कचरे की जगह हरियाली नजर आने लगी है। वहीं भानुपर में फेंका जाने वाला कचरा अब आदमपुर छावनी स्थित लैंडफिल साइट पर फेंका जा रहा है। लेकिन इसका शत प्रतिशत निस्तारण नहीं होने की वजह से यहां भी भानपुर खंती की तरह कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया है।
जानकारी के अनुसार शहर से निकलने वाला करीब एक हजार मीट्रिक टन कचरा रोजाना आदमपुर छावनी लैंडफिल साइट पर पहुंच रहा है। लेकिन इसका 60- से 70 फीसदी ही निस्पादन हो पाता है। ऐसे में रोजाना निकलने वाले कचरे का ही निष्पादन नगर निगम नहीं कर पा रहा है। इससे यहां कचरे का पहाड़ बन गया है। वहीं जनवरी 2018 में भानपुर खंती बंद होने के बाद वहां का करीब दो लाख टन कचरा भी यहीं डंप किया गया था। इसका भी अब तक कुछ नहीं हो पाया है। अब यह कचरा यहां सड़ रहा है। इससे निकलने वाली दुर्गंध से आसपास के आधा दर्जन् गांव के रहवासी परेशन हैं। वहीं पालीथिन उड़कर और कचरे से निकलने वाला लीचेट बहकर जमीन व भूजल का दूषित कर रहा है। इसके बावजूद निगम द्वारा इस कचरे का वैज्ञानिक तरीके निस्तारण नहीं किया जा रहा है।
कचरा हटने पर ही मिलेगी सेवन स्टार रेटिंग
वैज्ञानिक तरीके से 25 प्रतिशत कचरे का प्रसंस्करण करने पर 1 स्टार, 50 प्रतिशत पर 2 स्टार, 75 प्रतिशत पर 3 स्टार और 100 प्रतिशत करने पर 4, 5 और 7 स्टार रेटिंग दी जाती है। वहीं शहर के सभी चिन्हित खंतियों का उपचार करने पर भी रेटिंग दी जाएगी। प्रोजेक्ट तैयार होने पर 1 स्टार, योजना स्वीकृति के लिए 2 स्टार, कार्य शुरू होने पर 3 स्टार, कार्य 75 प्रतिशत होने पर 5 स्टार और 100 प्रतिशत कार्य और प्रोजेक्ट पूरा होने पर 7 स्टार रेटिंग दी जाएगी। लेकिन शत प्रतिशत कचरे का निस्तारण नहीं होने से भोपाल नगर निगम को स्वच्छ सर्वेक्षण में सेवन स्टार रेंटिंग नहीं मिल पा रही है।
पीसीबी ने भी कचरे के पहाड़ पर उठाए सवाल
आदमपुर छावनी का चार महीने पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने निरीक्षण किया था। इस दौरान कई कमियां सामने आइ थी। इसमें रोज आने वाले कचरे का शत प्रतिशत निस्तारण नहीं होने पर भी पीसीबी के अधिकारियों ने नगर निगम पर सवालिया निशान लगाए थे। उनका कहना था कि रोज प्राप्त होने वाले कचरे को निस्तारण नहीं हो रहा है। इसका कारण प्रोसेसिंग यूनिट की क्षमता कम होना या पूर्ण क्षमता पर ना चलाया जाना है। साथ ही इस प्लांट को एक शिफ्ट में चलाया जा रहा है। जिससे यहां आठ घंटे ही काम होता है। इसी वजह से कचरे का ढेर बढ़ता जा रहा है।
इनका कहना
आदमपुर छावनी में कचरे के ढेर की वजह से आसपास के गांवों की आवोहवा प्रदूषित हो रही है। पन्नी व अन्य कचरा उड़कर खेतों में पहंचता है। इससे मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है। वहीं इससे निकलने वाल लीचेट से भूजल बुरी तरह दूषित हो रहा है। जो अब पीने योग्य नहीं बचा है।
-सुभाष सी पांडे, पर्यावरणविद
आदमपुर छावनी में फेंके जाने वाले कचरे का शत प्रतिशत निस्तारण करने के लिए निजी एजेंसियों को काम दिया गया है। इसमें सूखा कचरे के लिए एनटीपीसी और गीले कचरे से बायो सीएनजी बनाने के लिए एक निजी कंपनी से अनुबंध हुआ। जल्द ही यहां शत-प्रतिशत कचरे का निस्तारण होने लगेगा।
-एमपी सिंह, अपर आयुक्त नगर निगम भोपाल