Bhopal News: बदहाल सरकारी प्राथमिक स्कूल, एक कमरे में लग रहीं पांच कक्षाएं, शौचालय नहीं होने से सुलभ कांप्लेक्स जाते हैं बच्चे
रोशनपुरा में और वल्लभ भवन के पास स्थित शासकीय नवीन प्राथमिक शालाओं में पसरा बदहाली का आलम।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sat, 08 Jul 2023 04:36:43 PM (IST)
Updated Date: Sat, 08 Jul 2023 04:36:43 PM (IST)
भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। सरकारी स्कूल एक जुलाई से शुरू कर दिए गए हैं, लेकिन व्यवस्थाओं के नाम पर वही घिसा-पिटा राग चल रहा है। हालात ये हैं कि कई स्कूलों में बिजली-पानी की व्यवस्था तक नहीं है। इसके अलावा एक ही भवन में पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं लगाई जा रही हैं। ये हाल कहीं और नहीं बल्कि राजधानी के स्कूलों का है।
राजभवन के पीछे स्थित शासकीय नवीन प्राथमिक शाला रोशनपुरा और वल्लभ भवन के पास स्थित शासकीय नवीन प्राथमिक शाला में एक ही कक्ष में पहली से पांचवीं तक के बच्चे साथ में बैठकर पढ़ रहे हैं। यहां ना तो पीने का पानी और ना ही शौचालय की व्यवस्था है। ऐसे में बच्चे सिर्फ मध्यान्ह भोजन के लिए आते हैं और दोपहर बाद चले जाते हैं। शासकीय प्राथमिक शाला करारिया में भी मात्र 12 बच्चे हैं।
नवीन प्राथमिक शाला रोशनपुरा : रात में शादी और दिन में पढ़ाई
दोपहर 1.30 बजे शासकीय नवीन प्राथमिक शाला रोशनपुरा में पहुंचने पर देखा कि बच्चे बैग उठाकर जाने की तैयारी में थे। मध्यान्ह भोजन का समय खत्म हो चुका था। यह स्कूल 25 साल से अधिक समय से सामुदायिक भवन में लग रहा है। इसमें पहली से लेकर पांचवीं तक की कक्षाएं एक ही हाल में लगती हैं, जिसमें करीब 92 बच्चे पढ़ते हैं। इसमें दिन में स्कूल लगता है और रात में शादियां होती हैं। यहां पर चार शिक्षक हैं, जिनमें एक शिक्षक दूसरे कार्यालय में अटैच हैं। दो शिक्षक व एक प्रधानाध्यापिका वर्षा चौबे हैं। कक्ष में पांच अलग-अलग ब्लैक बोर्ड लगाए गए हैं । इनमें बच्चों को गुट बनाकर उनके सामने बिठा दिया जाता है। दोनों शिक्षक बारी-बारी से अलग बोर्ड पर लिखकर बच्चों को पढ़ाते हैं।
इस स्कूल में बच्चों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था भी नहीं है और शौचालय भी नहीं है। स्कूल की छत भी टीन से बनी हुई है। स्कूल में पंखे तो लगे हुए हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही चलते हैं। ऐसे में मध्याह्न भोजन एक बजे होता है और डेढ़ बजे बच्चे गर्मी और उमस के कारण घर चले जाते हैं। 2007 से स्कूल में पदस्थ प्रधानाध्यापिका वर्षा चौबे ने बताया कि तभी से विद्यालय की यही स्थिति है। कोई सुधार नहीं होता है।
शासकीय नवीन प्राथमिक शाला वल्लभ भवन : शौचालय के लिए बच्चे सुलभ कांप्लेक्स जाते हैं
दोपहर डेढ़ बजे शासकीय नवीन प्राथमिक शाला पत्रकार भवन में पहुंचे तो छत से कक्षा में पानी टपक रहा था और इसी के बीच बच्चे पढ़ाई करते दिखे। एक छोटे से कमरे में पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं लग रही हैं। हालांकि बच्चों की संख्या 12 से 15 तक ही है। ऐसे में शिक्षक अपनी मनमानी करते रहते हैं। जहां रसोईघर बना है, उसी कमरे से अटैच शौचालय है, लेकिन बच्चे वहां नहीं जाते हैं, बल्कि स्कूल के बाहर सामुदायिक कांप्लेक्स में जाते हैं। इस स्कूल में भी बच्चे दोपहर बाद चले जाते हैं।
डीईओ ने डीपीसी पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ा
जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) अंजनी कुमार त्रिपाठी से इन स्कूलों के निरीक्षण के बारे में बात हुई तो उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्कूल जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) की जिम्मेदारी है। फिर भी इन स्कूलों का निरीक्षण किया जाएगा।
इन स्कूलों का निरीक्षण कराकर मर्ज कराने को लेकर कलेक्टर के माध्यम से शासन को प्रस्ताव भेजेंगे। बच्चों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर व्यवस्था सुधारी जाएंगी।
- आरके यादव, जिला परियोजना समन्वयक