Bhopal News: एक दशक बाद भी खदानों की सीमा तय नहीं, दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ा
कलेक्टर आए, निर्देश दिए और चले गए, खनिज विभाग ने नहीं दिया ध्यान। जिले में संचालित 100 से अधिक खदानों में नहीं सुरक्षा के इंतजाम।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Fri, 26 Aug 2022 03:31:54 PM (IST)
Updated Date: Fri, 26 Aug 2022 03:31:54 PM (IST)
भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। एक दशक बाद भी जिले में संचालित 100 से अधिक खदानों की सीमा तय नहीं हो सकी है और न ही सुरक्षा दीवार बनाई जा सकी है। बीते 10 साल में जिले में तैनात रहे चार कलेक्टरों ने इनके सीमांकन के निर्देश दिए, लेकिन खनन माफियाओं के रसूख के चलते अब तक काम नहीं हो सका है। नतीजतन वर्षा से पहले इन खदानों को मनमर्जी से उत्खनन कर गहरा कर दिया गया है। अव्वल तो यह है कि सबकुछ जानते हुए भी खनिज विभाग लापरवाह रवैया अपनाए हुए हैं।
खदानों में नियम विरुद्ध किए जा रहे उत्खनन की शिकायतों पर सबसे पहले तत्कालीन कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव ने सभी खदानों के सीमांकन करने के निर्देश दिए थे। उनके निर्देश पर खनिज अमले ने खदानों का सीमांकन तो किया था लेकिन उनका तबादला होते ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद पूर्व कलेक्टर निशांत वरवड़े ने खदानों की जांच शुरू कराई थी। इन पर सुरक्षा के इंतजाम कराए जाने थे और सूची बनाकर कार्रवाई की जानी थी। हालांकि उनके हटते ही यह कार्रवाई भी ठंडी पड़ गई। फिर तत्कालीन कलेक्टर सुदाम खाड़े ने अवैध उत्खनन की रिपोर्ट तलब की, लेकिन खनिज अमला सीमांकन से लेकर सीमा तय करने की कार्रवाई फाइलों में करता रहा। पिछले साल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने खुली खदानों में फेंसिंग के निर्देश दिए, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हो सका है। बता दें अवैध उत्खनन कर छोड़ी गई खदानों में हर साल वर्षा का पानी जमा हो जाता है। इन पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने से बच्चों के डूबने की घटनाएं होती हैं। इसके बाद आनन-फानन में शासन-प्रशासन नींद से जागता है। फिर पीड़ित परिवार को सहायता राशि देकर खदान संचालक पर कार्रवाई के निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन धीरे-धीरे मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।
मुनारों में तोड़फोड़ कर किया जा रहा खेल
जानकारी के मुताबिक खनन माफिया द्वारा आवंटित खदानों की सीमा तय करने के लिए लगाई जाने वाली मुनारों को तोड़ दिया गया है। इससे वे मनमर्जी से उत्खनन कर रहे हैं। वर्तमान में चालू खदानों में 40 से अधिक खदानों की मुनारें टूटी हुई हैं या फिर गायब कर दी गई हैं। बैरसिया रोड, बरखेड़ा नाथू, अचारपुरा, नीलबड़, सिंकदराबाद, परवलिया, रातीबड़ में संचालित खदानों में अधिक गड़बड़ी होने की बात सामने आई है। खदानों पर कंक्रीट की मुनारें लगनी चाहिए लेकिन यहां सिर्फ नाम के लिए खंभे खड़े कर दिए जाते हैं। बताया जा रहा है कि खदान चोकोर है तो चार मुनारें और अलग प्रकार की है तो पांच मुनारंे लगाने का नियम है। इन पर संख्या भी अंकित होनी चाहिए। लोहे के तार की फेंसिंग इन्हीं मुनारों के आधार पर होती है। इसके बाद भी खनिज अधिकारी इस नियम का पालन नहीं करवा पा रहे हैं।
जिले में संचालित हो रही खदानों के सीमांकन कराने संबंधी निर्देश खनिज विभाग को दिए गए थे। साथ ही सभी खदानों पर सुरक्षा के मद्देनजर तार फेंसिंग सहित अन्य इंतजाम करने के लिए भी निर्देशित किया गया था। यदि खदान संचालकों द्वारा नियमों का पालन नहीं कराया जा रहा है तो जांच करवाकर कार्रवाई की जाएगी।
- अविनाश लवानिया, कलेक्टर, भोपाल