भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। एक 16 वर्षीय मूक-बधिर बालक के भीतर पढ़ने की ललक इस कदर नजर आई कि वह अपनी मां के साथ गुरुवार को मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग के कार्यालय पहुंच गया। उसने आयोग के सदस्य से इशारों-इशारों में पढ़ने के लिए संस्था में भेजने की गुहार लगाई। उसने बिना बोले ही जता दिया कि दो साल से उसकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बच्चे की मां मोना भगोरिया ने भी उसकी इच्छा को बाल आयोग के सामने रखा। उसकी मां मोना ने कहा कि वह कोरोना के कारण पिछले साल मार्च में घर आ गया था। इसके बाद अब संस्था ही बंद हो गई। ऐसे में बेटे को पढ़ने के लिए कहां भेजें, कुछ समझ नहीं आ रहा है। उसने पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की है। अब उसका नामांकन छठवीं कक्षा में होगा। कोरोना के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित विशेष आवश्यकता वाले बच्चे (सीडब्ल्यूएसएन) हुए हैं। अब भी इन बच्चों की शिक्षण संस्थाएं बंद हैं और ये विशेष बच्चे शिक्षा से वंचित हैं।
मां मोना भगोरिया ने कहा कि वह घरों में साफ-सफाई का काम करती है, लेकिन बेटे को पढ़ाना चाहती है। कोरोना काल से पहले वह इंदौर की एक संस्था में रहता था, लेकिन अब वह संस्था बंद हो गई है। इस कारण बेटे की करीब दो साल से पढ़ाई छूट गई है। उसने कहा कि मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं, जिससे बेटे को पढ़ा सकूं। अब बेटे का पूरा समय बर्बाद हो रहा है। मोना का कहना है कि पांच साल पहले उसके पति एक हादसे में गुजर गए, तब से बच्चों सहित पूरे घर की जिम्मेदारी उसके ऊपर है। दो बेटियां थीं, जिनकी शादी कर दी। अब बेटे को पढ़ाना है, जिसके लिए अच्छे संस्थान की तलाश है।
बता दें कि निजी व सरकारी स्कूलों में एक लाख 34 हजार सीडब्ल्यूएसएन बच्चे हैं। इनमें 48 हजार 477 बच्चों की प्रोफाइल अपडेट की गई है। राज्य शिक्षा केंद्र ने इस संबंध में जिला मिशन संचालकों को आदेश जारी कर जल्द से जल्द प्रोफाइल अपडेट करने के निर्देश दिए हैं।
डाक्टर बनने की जताई इच्छा
जब बाल आयोग के सदस्य ने बच्चे से पूछा कि तुम क्या बनना चाहते हो तो उसने इंजेक्शन लगाने का इशारा करते हुए समझाया कि वह डाक्टर बनना चाहता है। मां मोना ने कहा कि यह पढ़ने में बहुत तेज है। साथ ही अन्य गतिविधियां आर्ट और क्राफ्ट में भी आगे है।
इंदौर व भोपाल की संस्था में बात चल रही है
इसे लेकर बाल आयोग ने राजधानी के परी बाजार के पास स्थित मूक-बधिर संस्था और इंदौर की एक संस्था में बात की। बच्चे की मां दोनों जगहों के संस्थाओं को देखकर फिर निर्णय लेगी। इसके बाद दोनों जगहों के संस्था प्रमुखों द्वारा काउंसिलिंग के बाद स्कूल शिक्षा विभाग या सामाजिक न्याय विभाग के निर्देश पर बच्चे को रखा जाएगा।
बाल आयोग ने पीएस को लिखा पत्र
वहीं, बाल आयोग का कहना है कि प्रदेश की 60 अनुदान प्राप्त सीडब्ल्यूएसएन संस्थाएं कोरोना काल के बाद बंद हो गई हैं। इन संस्थाओं को 60 फीसद भारत सरकार से और 40 फीसद राज्य सरकार से अनुदान मिलता है। शासन से अनुदान न मिलने के कारण संस्थाएं बंद हो गई हैं। आयोग ने इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव (पीएस) को पत्र लिखकर संस्थाओं को खोलने की अनुशंसा की है, ताकि सीडब्ल्यूएसएन बच्चों को रखा जा सके।
प्रदेश की 60 संस्थाएं बंद हो गई हैं। इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के प्रोफाइल अपडेट करने के लिए जिला मिशन संचालकों को पत्र लिखा है।
- रमाशंकर तिवारी, समन्वयक, सीडब्ल्यूएसएन, राज्य शिक्षा केंद्र
कोरोना के कारण अनुदान प्राप्त प्रदेश की 60 सीडब्ल्यूएसएन संस्थाएं बंद हो गई हैं। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है। साथ ही इस बच्चे के लिए इंदौर और भोपाल की संस्था में बातचीत चल रही है। बच्चे की मदद की जाएगी।
- ब्रजेश चौहान, सदस्य, बाल आयोग