Bhopal News: 23 साल में बड़े तालाब से गायब हो गईं जीव-वनस्पतियों की 618 प्रजातियां, जल गुणवत्ता सी-कैटेगरी में पहुंची
एप्को और सीपीसीबी ने एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट में माना कि गंभीर खतरे में है बड़ा तालाब।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sun, 21 May 2023 04:19:37 PM (IST)
Updated Date: Sun, 21 May 2023 04:19:37 PM (IST)
प्रवीण मालवीय. भोपाल! प्रदेश की पहली रामसर साइट और भोपाल की जीवन रेखा बड़ा तालाब धीमी मौत की ओर बढ़ रहा है। बड़े तालाब की जैव विविधता दो दशक में करीब 77 प्रतिशत घट गई है। वर्ष 2000 में यहां जीव और वनस्पतियों की 800 प्रजातियां थीं जो 2022-23 में घटकर मात्र 182 रह गईं हैं। इतना ही यह संख्या भी इसलिए दिख रही है क्योंकि ऐसी वनस्पतियों और प्राणियों की संख्या बढ़ी है जो स्वच्छ जल के बजाए सीवेज वाटर में बढ़ते हैं जबकि अच्छी प्रजातियां तो लगभग खत्म होने की ओर हैं।
यह खुलासा एप्को की ओर से एनजीटी में पेश रिपोर्ट से हुआ है। वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने 2022 की रिपोर्ट में तालाब के जिस पानी की गुणवत्ता ए से बी कैटेगरी के बीच बताई थी, उसे सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने अप्रैल 2023 की रिपोर्ट में सी कैटेगरी का हो जाना पाया है। चिंता की बात यह है कि सी कैटेगरी किसी भी जलाशय की सबसे निचली जल गुणवत्ता होती है जिसे शोधन और उपचार के बाद पिया जा सकता है। इसके डी कैटेगरी में जाते ही किसी भी तरह के ट्रीटमेंट के बाद भी पीने लायक बनाने की गुंजाइश नहीं बचती और पानी पीने लायक ही नहीं रहता।
बड़े तालाब में क्रूज-मोटरबोट चलाने से जल गुणवत्ता प्रभावित होने को लेकर पर्यावरणविद् सुभाष सी पांडेय ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) में याचिका लगाई थी। एनजीटी के निर्देश पर सीपीसीबी और एप्को की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में जल गुणवत्ता में गिरावट का पता चला है।
बायोलाजिकल स्टेट आफ अपर लेक
पायथोप्लेक्टोन स्पीसीज - 52
जूप्लेंकटोन स्पीसिज -20
मेक्रोफाइटे स्पीसिज -25
मेक्रोबेंथोस स्पीसिज - 85
कुल - 182
ऐसे गिरती गई बड़े तालाब की जलगुणवत्ता
1990 - ए
2010 - बी
2020 - ए-बी
2023 - सी
यही हालात रहे तो बड़े तालाब का पानी पीने लायक नहीं बचेगा
बड़े तालाब के जल में मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों तरीकों से कमी आ रही है। किसी भी वाटर बाडी की पानी की गुणवत्ता हम कुछ भी बताएं लेकिन बायोडायवर्सिटी इंडेक्स अर्थात जैव विविधता एक ऐसा पैमाना होता है जिसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वास्तविक स्थिति क्या है। बड़े तालाब के जल की गुणवत्ता जिस तरह से बिगड़ रही है, उसे देखते हुए गंभीर स्थिति को समझा जा सकता है, यही हालात रहे तो अगले चंद वर्षों के अंदर ही बड़े तालाब का पानी अंत्यत प्रदूषित होकर पीने लायक नहीं बचेगा।
- सुभाष सी पांडेय, पर्यावरणविद् एवं बड़े तालाब में एनजीटी में याचिकाकर्ता