Bhopal News:भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। बड़े तालाब में करीब 10 स्थानों पर नाले नालियों के माध्यम से सीवेज मिलता है। इसके लिए ज्यादातर स्थानों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए जाने थे। तालाब में शिरीन नाला अहमदाबाद पैलेस के पास, करबला के पास, खानूगांव, बोरवन, सीहोर नाका सहित बैरागढ़ में आठ नाले सीधे तालाब मे मिलते हैं। इसके लिए बने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी काम नहीं कर रहे है। शहर में 11 स्थानों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने थे इसमें से पांच स्थानों पर ही बनकर तैयार हो पाए गए है। यहीं कारण है कि स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान वाटर प्लस मिलने से भोपाल चूक गया है।
दरअसल, प्रोजेक्ट के तहत कोहेफिजा स्थित शिरीन नदी, नीलबड़, जमुनिया छीर और भैंसाखेड़ी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का काम शुरू हुआ। मकसद था कि झील में 20 से ज्यादा नालों के जरिए मिलने वाले सीवेज को रोकने और एसटीपी में उसका ट्रीटमेंट कर उसे झील में छोड़ा जाए। ताकि लगातार बिगड़ रही बड़ी झील के पानी की क्वालिटी सुधर सके। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। स्थिति ये है कि भैंसाखेड़ी और नीलबढ़ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट झील के फुलटैंक लेवल यानी जब झील अपनी पूरी क्षमता से भरती है, तो यह एसटीपी पानी में डूब जाएंगे।
एसटीपी की क्षमता पांच एमजीडी, सीवेज फ्लो 18 एमजीटी
एक्सपर्ट का कहना है कि नगर निगम ने भविष्य में होने वाले सीवेज डिस्चार्ज की क्षमता को ध्यान में रखे बिना एसटीपी डिजाइन किए। इसकी बानगी शिरीन नदी एसटीपी है। यहां पांच एमजीडी क्षमता का एसटीपी बनाया गया, जबकि यहां सीवेज फ्लो 18 एमजीडी है। ऐसे में 13 एमजीडी अनट्रीटेड सीवेज सीधे झील में मिल रहा है। इसके अलावा खानूगांव, फतेहगढ़ नाला, राजेन्द्र नगर, इंदिरा नगर, संजय नगर, बेहटा गांव, सीहोर नाका समेत कई जगहों से सीधे गंदे नाले का पानी सीधे झील में मिल रहा है।
500 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट दो साल पीछे अब तक बन सके 5 एसटीपी
बड़ी और छोटी झील सहित शाहपुरा एवं अन्य तालाबों में सीवेज मिलने से रोकने के लिए 11 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों का निर्माण किया जा रहा है। वर्तमान में शिरीन नदी, मोहली दामखेड़ा, चार ईमली, नीलबढ़ और सनखेड़ी एसटीपी ही तैयार हुए है, लेकिन अभी एक ने ही काम करना शुरू किया है।