भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। भोपाल और इंदौर मेट्रो की नींव एक साथ डली थी लेकिन भोपाल मेट्रो के पहले रूट का काम लगभग 50 फीसद पूरा होने को है। विगत 30 महीने में 122 पिलर और 36 गर्डर डाले जा चुके हैं, लेकिन इंदौर मेट्रो का 10 फीसद काम भी पूरा नहीं हो पाया है। अभी पिलर खड़े होने का ही काम चल रहा है। इधर, भोपाल मेट्रो के डिपो बनाने के लिए जमीन का परीक्षण हो चुका है। इसके आधार पर मेट्रो का मॉडल बनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इधर, लॉकडाउन के दौरान भी मेट्रो का काम चला है। पहले रूट का एम्स से लेकर शक्ति नगर और एमपी नगर से लेकर सुभाष फाटक का काम बहुत तेजी से चला है। इसके चलते इस रूट का काम लगभग 50 फीसद तक पूरा हो चुका है। अब मुख्य चुनौतियां अंडरग्राउंड रूट और स्टेशन बनाने की है। इन्हें दूर करने के बाद मेट्रो का काम तेजी से चलेगा। बता दें कि मेट्रो का डिपो बनाने के लिए 85 एकड़ जमीन मांगी गई थी लेकिन प्रशासन ने 65 एकड़ जमीन आरक्षित की है। वहीं संबंधित विभागों से प्री एनओसी लेकर डिपो का काम किया जा रहा है। इधर, एम्स से करोंद तक के 16.5 किलोमीटर लंबे मेट्रो के पहले रूट का काम भले ही तेजी से चल रहा हो, लेकिन इस रूट व स्टेशन में 16 बड़ी चुनौतियां हैं। वर्तमान में इन चुनौतियों पर चर्चा तो हो चुकी है सर्वे भी हो चुका है लेकिन जमीन आरक्षण के लिए प्रस्ताव नहीं आया है। देश में सबसे बेहतर मेट्रो का मॉडल नागपुर ही है। नागपुर मेट्रो का भूमिपूजन 31 मई 2015 को हुआ था और 21 अप्रैल 2018 को छह किमी की जॉय राइड शुरू कर दी गई थी। पहली कामर्शियल 9 मार्च 2019 को और 50 महीने में 25 किमी का रूट तैयार हो गया था। चार रीच में 38 किमी का ट्रैक बन रहा है। इनमें से एक स्टेशन चार मंजिला होगा। इसी तर्ज पर भोपाल में काम किया जा रहा है।
रूट दोपहिया वाहनों के लिए ही खुला, लेकिन जा रहे चार पहिया वाहन
इधर, मेट्रो के रूट का काम तेजी से चल रहा है। दूसरी तरफ सुभाष नगर फाटक से एमपी नगर की तरफ जाने वाला रास्ता मेट्रो की तरफ से बंद किया गया है। सिर्फ दो पहिया वाहनों के आने-जाने के लिए यहां जगह रखी गई है। इसके बावजूद यहां से मिनी बस और चार पहिया वाहन गुजर रहे हैं। इन्हें रोकने की कोशिश भी की जा रही है लेकिन कोई रुकने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में कोई हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
एक नजर में मेट्रो प्रोजेक्ट
14442 करोड़ 20 लाख भोपाल व इंदौर मेट्रो की लागत
6941 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च होने हैं।
248 करोड़ 96 लाख रुपये प्रदेश सरकार ने अब तक दिए हैं।
245 करोड़ 23 लाख राशि भारत सरकार से मिले हैं।
138 करोड़ 58 लाख रुपये अब तक खर्च किए जा चुके हैं।
10 करोड़ टेंडर सहित अन्य प्रक्रिया में खर्च हो चुके है
262 करोड़ स्पये नए बजट में मिले है।
भोपाल मेट्रो
2023 तक एम्स से सुभाष नगर का काम पूरा करना है। इसका काम अभी चल रहा है। 50 फीसद पूरा हुआ है।
2024 मई तक भदभदा चौराहे से रत्नागिरी तिराहे तक का मार्ग। काम शुरू नहीं हो पाया है।
2024 दिसंबर तक सुभाष नगर से करोंद चौराहे तक मेट्रो का मार्ग बनाने का लक्ष्य। काम शुरू नहीं हो पाया है।
2023 अगस्त तक गांधी नगर से मुमताज बाग तक।
2024 जुलाई तक मुमताज बाग से रेलवे स्टेशन तक
2024 दिसंबर तक गांधी नगर से रेलवे स्टेशन तक
मेट्रो के लिए इन दो रूटों पर आज से शुरू होगा सर्वे
-पहला रूट- एम्स से करोंद तक
कुल लंबाई--16.05 किमी
एलीवेटेट रूट--13.675 किमी
अंडरग्राउंड रूट--2.375 किमी
एलीवेटेड स्टेशन--14
अंडरग्राउंड स्टेशन--2
-दूसरा रूट--भदभदा से रत्नागिरी तक
कुल लंबाई--12.99 किमी
एलीवेटेट रूट--12.99 किमी
अंडरग्राउंड रूट--0 किमी
एलीवेटेड स्टेशन--14
वर्जन
मेट्रो का काम निर्धारित समय पर करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए सारी टेंडर प्रक्रिया एक महिने के अंदर पूरी कर ली जाएगी। निर्धारित डेटलाइन के आधार पर काम किया जा रहा है। काम में तेजी लाने के लिए सभी रिक्रूटमेंट प्रोसेस भी पूरी की जा रही है। आवेदन आ चुके है स्क्रूटनी जारी है।
गौतम सिंह, अपर आयुक्त, नगरीय विकास एवं आवास, प्रभारी मेट्रो