भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। शहर की आबोहवा बिगड़ी है। सांस लेने के लिए साफ हवा भी नहीं मिल रही है। इस वजह से पिछले 10 दिन के भीतर फेफड़े व सांस की नली से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। निजी और सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। अस्थमा के 10-12 साल पुराने मरीज फिर सामने आ रहे हैं। आंखों और स्किन की तकलीफ भी बढ़ी है। डॉक्टरों ने अस्थमा और एलर्जी के मरीजों को सलाह दी है कि वह सुबह टहलने के लिए बाहर न जाएं, बल्कि घर में ही व्यायाम करें। मुंह बांधकर निकलें। सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएन अग्रवाल ने बताया कि दीपावली में बाद प्रदूषण के चलते फेफड़े व सांस की नली में तकलीफ वाले दोगुने मरीज आ रहे हैं। उन्होंने बताया कई मरीज ऐसे आ रहे हैं, जिनका 10-12 साल से अस्थमा नियंत्रित था।
प्रदूषण बढ़ने की वजह से इस साल वह मरीज फिर अस्थमा के शिकायत लेकर आ रहे हैें। उन्होंने बताया कि ब्रांकाइटिस (सांस नली में सूजन) के मरीज भी काफी आ रहे हैं। गले में कफ के साथ खून निकलने की समस्या वाले मरीज भी अन्य सालों के मुकाबले दो से तीन गुना ज्यादा आ रहे हैं। चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमित सोनी ने कहा कि चमड़ी में खुजली व सूखापन के केस बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि प्रदूषण का यही स्तर रहा तो सोरायसिस के मरीजों की तकलीफ बढ़ेगी।
निमोनिया के मरीज भी बढ़े
हमीदिया अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. लोकेन्द्र दवे ने बताया कि प्रदूषण के कारण फेफड़े ेमें संक्रमण होने की वजह से निमोनिया के केस भी बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि हवा में घुले प्रदूषण फैलाने वाले तत्व सांस नली में पहुंचकर नली में सूजन कर देते हैं। ऐसे में खांसी के दौरान ब्लड आने पर मरीज घबरा जाते हैं। डॉ. दवे ने बताया कि एलर्जी के केस भी पहले की तुलना में दोगुने हो गए हैं। हमीदिया अस्पताल की पल्मोनरी मेडिसिन विभाग की ओपीडी में हर दिन करीब 150 मरीज आते हैं। इनमें आधे इसी तरह की शिकायत वाले होते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के लगातार चपेट में आने पर हार्ट अटैक, लकवा व अन्य बीमारियां भी बढ़ेंगी।
बच्चों के अस्थमा का अटैक बढ़ा
हमीदिया अस्पताल के शिशु रोग विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. राजेश टिक्कस ने कहा कि बच्चों में अस्थमा के अटैक के केस बढ़े हैं। इसकी वजह ठंड, दीपावली का धुआं व अन्य कारणों से होने वाला प्रदूषण है। डॉ. टिक्कस ने बताया कि बच्चों की सांस की नली की बनावट इस तरह की होती है कि उन्हें ज्यादा और जल्दी तकलीफ होती है। एलर्जी की तकलीफ बच्चों में बहुत ज्यादा मिल रही है।
आंख में जलन की शिकायत के ज्यादा केस
जेपी अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि आंख में एलर्जी के मरीज दोगुने हो गए हैं। पहले रोज की ओपीडी में करीब 15 के केस आ रहे थे। अब 30-32 केस आ रहे हैं।
पिछले 5 दिन में किस समय कितना रहा धूल के कण, हैवी मैटल का स्तर
दिनांक/ समय 1/12 एमएम 2/8 पीएम 3/4 पीएम 4/4 एएम 5/8 एएम
पीएम 2.5 301 272 103 301 224
पीएम 10 234 196 116 200 169
नोटः बीते पांच दिनों में सबसे अधिक प्रदूषित हैवी मैटल, धूल के कणों का समयवार सर्वाधिक स्तर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट से लिया गया है। पीएम 2.5 व पीएम 10 का स्तर माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में है।
शहर में किसी भी समय बढ़ जाता है प्रदूषण
भोपाल शहर में प्रदूषण का स्तर किसी भी समय बढ़ जाता है। खासकर सुबह 8 से 11 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 12 बजे तक अक्सर पीएम 2.5 व पीएम 10 का स्तर बढ़ रहा है। इसकी कई वजह है। हवा की रफ्तार कम व अधिक होना, आद्रता का बढ़ जाना, बादलों की ऊंचाई कम होना आदि। वैसे देखा जाए तो भोपाल शहर में सुबह 8 से 11 बजे व शाम को 4 से रात 8 बजे के बीच ट्रैफिक का ज्यादा दबाव रहता है। इस बीच सड़कों पर वाहनों की भीड़ रहती है, धुआं ज्यादा फैलता है। इसके कारण वायु प्रदूषण की स्थिति बनी रहती है।