भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। पुलिस व्यवस्था को चकमा देकर सैकड़ों आशा-ऊषा कार्यकर्ता मंगलवार सुबह 9.30 बजे मुख्यमंत्री निवास तक पहुंच गई। आनन-फानन में पुलिस ने उन्हें रोक लिया, जिसका उन्होंने जमकर विरोध किया। लेकिन पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। इससे वे नाराज हो गईं और पॉलीटेक्नीक चौराहे के पास सड़क पर बैठ गईं।
सुबह 10 से शाम पांच बजे तक वे यहीं बैठीं रहीं। इससे वहां ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ गई। रुक-रुककर जाम लगने लगा। लोगों की परेशानी देख पुलिस ने उन्हें चौराहे से उठाकर सड़क के किनारे बैठा दिया। वे देर शाम तक बैठीं रहीं। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक उनका वेतन बढ़ाकर स्थायी नहीं किया जाता, तब तक वे भोपाल नहीं छोड़ेंगी।
इससे पहले आशा-ऊषा एकता यूनियन के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में अन्य जिलों से ये कार्यकर्ता भोपाल आईं थी। यूनियन की विद्या खंगाल व किशोरी वर्मा ने बताया कि वे मैदानी स्तर पर काम कर रही हैं। सरकार की स्वास्थ्य से जुड़ी सभी योजनाओं को उन्होंने सफल बनाया है। फिर भी उनकी अनदेखी की जा रही है। उन्होंने आंगनबाड़ी व सहायिकाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। फिर भी उन्हें तवज्जो नहीं दी जा रही है।
ज्यादा नाराजगी की वजह
प्रदेश की आशा-ऊषा कार्यकर्ता मानदेय नहीं बढ़ाने से नाराज हैं। नाराजगी उस दिन से और बढ़ गई जब प्रदेश सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं का वेतन बढ़ा दिया। अब ये भी मानदेय बढ़ाने व स्थाई करने की जिद पर अड़ी हैं। इसके लिए कार्यकर्ता पूर्व में भी भोपाल समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों में विरोध दर्ज करा चुकी हैं।
आधा दर्जन कार्यकर्ताओं की हालत बिगड़ी
प्रदर्शनकारी कार्यकर्ता दिनभर धूप में सड़क पर बैठी रहीं। इसके कारण आधा दर्जन कार्यकर्ताओं की हालत बिगड़ गई। अन्य कार्यकर्ताओं ने उन्हें पानी पिलाया और नाश्ता कराया। सभी का कहना था कि चाहे जो भी हो वे भोपाल नहीं छोड़ेंगी। हालांकि पूरे समय पुलिस और प्रशासन के अधिकारी उन्हें समझाइश देते रहे। उनकी मांगों पर विचार करने की बातें करते रहें लेकिन वे नहीं मानी।
कार्यकर्ताओं को समझाइश दी। वे मांगे मनवाने पर अड़ी हैं। उन्हें पूरी सुरक्षा दी गई है।
-बीएल वर्मा, सीएसपी कोतवाली, भोपाल