मनोज तिवारी, भोपाल, Antyodaya Samiti MP। सत्ता में जनभागीदारी के मॉडल पर काम कर रही शिवराज सरकार ने सरकारी योजनाओं की राजधानी से ग्राम पंचायत स्तर तक निगरानी के लिए दीनदयाल अंत्योदय समितियों के पुनर्गठन का रास्ता साफ कर दिया है। इसके लिए 'मध्य प्रदेश (लोक अभिकरणों के माध्यम से) दीनदयाल अंत्योदय कार्यक्रम का क्रियान्वयन अधिनियम 1991’ के तहत बनाए गए नियम लागू हो गए हैं। इसके तहत समितियों का गठन किया जाएगा और काम की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री और जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री समिति के अध्यक्ष होंगे। हर स्तर पर गठित समितियों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की महिलाओं के लिए पद आरक्षित रहेंगे।
राज्य स्तरीय समिति में यथासंभव इस वर्ग की प्रदेश में जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। इसके जरिये पांच लाख भाजपा कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदार बनाया जाएगा। प्रदेश में भाजपा की सरकार के दौरान ये समितियां वर्ष 1991 में काम करती थीं। नए मॉडल में समितियां राज्य, जिला, नगर, विकासखंड और ग्राम पंचायत स्तर पर होंगी। प्रदेश में पंचायतों की बड़ी संख्या होने और जिला व राज्य स्तर पर इन समितियों के गठन से भाजपा से जुड़े पांच लाख से अधिक कार्यकर्ता इस काम से जुड़ जाएंगे। इन्हें सरकारी योजनाओं की निगरानी व सलाह के अधिकार होंगे।
वे कांग्रेस सरकार के दौरान अमल में लाए गए 20 सूत्रीय कार्यक्रम पर भी काम करेंगे। इसके लिए उन्हें मानदेय तो नहीं मिलेगा पर ब्लॉक, जिला और राज्य स्तरीय समिति के सदस्य को बैठकों में शामिल होने के लिए यात्रा भत्ता और दैनिक भत्ते दिए जाएंगे। राज्य स्तर पर साल में दो बार, जिला और विकास खंड स्तर पर माह में एक बार समिति की बैठक होंगी। बैठकों में निर्धारित कार्यक्रम में लक्ष्य और उपलब्धियों की गुणात्मक एवं संख्यात्मक समीक्षा की जाएगी।