पराली जलाई तो होगी एफआईआर, एमपी के सात शहरों में प्रदूषण को रोकने के लिए बनेगा एक्शन प्लान
खेतों में पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता कम/खत्म होने के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी फैलता है। प्रशासन के आदेश के मुताबिक आगामी दो महीने तक पराली जलाने पर प्रतिबंध रहेगा। यह आदेश सभी एसडीएम, तहसीलदार और थानों के कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर भी लगाया जाएगा।
By Madanmohan malviya
Publish Date: Fri, 22 Nov 2024 09:32:49 AM (IST)
Updated Date: Fri, 22 Nov 2024 11:13:46 AM (IST)
खेत में जलती पराली (फाइल फोटो) HighLights
- एनजीटी के निर्देश पर प्रशासन की कार्रवाई।
- आगामी दो माह तक प्रभावी रहेगा आदेश।
- पराली जलाने पर होगी कानूनी कार्रवाई।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल Bhopal News: भोपाल जिले में फसल कटाई के बाद अब खेतों में पराली जलाने पर सीधे भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी। यह आदेश कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के निदेश पर अपर कलेक्टर भूपेंद्र गोयल ने गुरुवार को जारी किए हैं। इस आदेश के मुताबिक पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
कानून का शिकंजा
प्रशासन द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों का पालन करते हुए जिले की सभी राजस्व सीमा में फसल की कटाई के बाद किसानों द्वारा पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। यदि अब किसी किसान द्वारा पराली में आग लगाई जाती है, तो उसके खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज की जाएगी। उसके खिलाफ अन्य कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
यह आदेश 21 नवंबर से प्रभावी हो गया है, जो आगामी दो महीने के लिए लागू रहेगा। सभी एसडीएम, तहसीलदार और थानों के कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर इसे लगाएंगे। संबंधित क्षेत्र के कार्यपालिक मजिस्ट्रेट एवं पुलिस थाना प्रभारी अपने -अपने क्षेत्रों का भ्रमण कर उक्त व्यवस्था सुनिश्चित करवाएंगे।
पराली जलाने के नुकसान
- खेत में पड़ा कचरा, भूसा, डंठल सड़ने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते हैं, इन्हें जलाकर नष्ट करना ऊर्जा को नष्ट करता है। आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
- खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जनसंपत्ति व प्राकृतिक वनस्पति, जीवजंतु आदि नष्ट हो जाते है। जिससे व्यापक नुकसान होता है।
- खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु इससे नष्ट होते है।जिससे खेत की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
भोपाल सहित सात शहरों में प्रदूषण कम करने बनेगा एक्शन प्लान
प्रदेश के शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए माइक्रो लेवल एक्शन प्लान बनाया जाएगा। यह बात राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनकेप) के अंतर्गत प्रदेश स्तरीय कमेटी की बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कही। बैठक में शहरों के प्रदूषण स्तर पर चर्चा की गई है।
एनकेप अंतर्गत चिह्नित प्रदेश के नॉन अटेनमेंट (जहां प्रदूषण का स्तर सामान्य से अधिक है) शहरों की सूची बनाई है। आगामी बैठक में कलेक्टर व कमिश्नर को प्लान तैयार प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। नॉन अटेनमेंट शहरों में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, देवास एवं सागर शामिल हैं।