भोपाल (नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। दक्षिण अफ्रीका से लाए जा रहे चीतों का ठिकाना मध्य प्रदेश ही होगा। भारत सरकार ने इस पर मोहर लगा दी है। वन विभाग को बुधवार को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) का सहमति पत्र मिल गया है। पहले चरण में नवंबर अंत तक 14 चीते लाए जाएंगे, जो कूनो पालपुर नेशनल पार्क में ही बसाए जाएंगे। पार्क में प्रारंभिक तैयारियों के लिए भारत सरकार 14 करोड़ रुपये देगी। इस राशि के मिलने की प्रत्याशा में पार्क प्रबंधन ने तैयारी शुरू कर दी है।
देश में 73 साल बाद चीते की वापसी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट की साधिकार समिति की उप समिति ने मध्य प्रदेश के साथ झारखंड और राजस्थान में भी चीता को बसाने की संभावनाएं तलाश की थीं, पर सबसे मुफीद जगह कूनो पालपुर पाई गई। वैज्ञानिकों ने पार्क की जलवायु और भौगोलिक स्थिति को पूरी तरह से चीता के अनुकूल बताया था।
इसे देखते हुए भारत सरकार ने चीतों को कूनो में बसाने की मंजूरी दे दी। दक्षिण अफ्रीका से चीता लाने की जिम्मेदारी लुप्तप्राय वन्यजीव ट्रस्ट, मध्य प्रदेश वन विभाग, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान को सौंपी गई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1947 में ली गई सरगुजा महाराज रामानुशरण सिंह के साथ चीते की तस्वीर को आखिरी माना जाता है। वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीते को विलुप्त जीव घोषित कर दिया था।
अप्रैल में आए थे विशेषज्ञ
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वाईबी झाला सहित अन्य वैज्ञानिक कूनो को चीता के लिए मुफीद मान चुके हैं, पर चीता देने से पहले दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ यहां की व्यवस्थाएं देखना चाहते थे। 26 अप्रैल को वहां से विशेषज्ञ विंसेंट आए थे, जिन्होंने दो दिन रुककर पूरी व्यवस्था देखी और सहमति दी। वहीं भारत के वैज्ञानिकों का दल पार्क में लगातार अध्ययन कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी
गुजरात के गिर अभयारण्य से बब्बर शेर न मिलने की स्थिति में भारत सरकार ने वर्ष 2010 में कूनो में चीता बसाने की योजना बनाई थी। इसके खिलाफ एक याचिका दायर होने के कारण कोर्ट ने योजना पर रोक लगा दी थी। सुनवाई पूरी होने के बाद जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे मंजूरी देते हुए साधिकार समिति को निगरानी का जिम्मा सौंपा था।
एनटीसीए ने जारी की टाइम लाइन
- कूनो में विशेष बाड़े का निर्माण शुरू, जो अगस्त तक पूरा होगा।
- एनटीसीए जून में जरूरी इंतजामों के लिए राशि जारी करेगा।
- एनटीसीए की टीम जून-जुलाई में निरीक्षण करेगी और प्रश्ािक्षण देगी।
- 14 चीता लाने के लिए जून-जुलाई तक आयात-सीमा शुल्क जमा कर परमिट लिया जाएगा।
- जुलाई तक टेलीमेट्री उपकरण खरीदे जाएंगे।
- सितंबर-अक्टूबर में दक्षिण अफ्रीका जाकर चीता लाने की प्रक्रिया शुरू होगी। इसी दौरान टीकाकरण होगा।
- जुलाई में चीता लाने के लिए पिंजरे खरीदे जाएंगे।
- अक्टूबर-नवंबर में अंतरराष्ट्रीय परिवहन होगा।