Chambal Bridge Bhind: मनोज श्रीवास्तव, नईदुनिया: ग्वालियर-इटावा नेशनल हाइवे 719 स्थित बरही-उदी के बीच चंबल नदी पर बना पुल 11 महीने से बंद हैं। पुल बंद होने से इस बार जिले में रेत की खदानों के टेंडर भी नहीं हुए है। पिछले साल कंपनी ने 73 करोड़ रुपये का ठेका लिया था। ऐसे में सरकार को सीधा 73 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जबकि जिले में कई जगह सिंध नदी का सीना छलनी कर चोरी से रेत का उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। बावजूद जिले में सरकारी और निजी निर्माण कार्यों के लिए भी रेत महंगी मिल रही है। बस संचालक व ट्रक-डंपर मालिक भी परेशान हैं। कुछ ट्रांसपोर्टर ने तो अपने ट्रक और डंपर को बेच दिया है या फिर दूसरे राज्यों में भेज दिया है। ट्रांसपोर्टर का कहना है, कि पुल बंद होने से भाड़ा मिलना बंद हो गया है। इससे किस्त नहीं जमा कर पा रहे थे। इसलिए गाड़ियों को बेचना पड़ा है। हालात यह है कि हाइवे किनारे होटल-ढाबा और छोटे-दुकानदार भी लगभग बेरोजगार हुए हैं।
बता दें कि मप्र और उत्तरप्रदेश को जोड़ने वाले नेशनल हाइवे 719 के ग्वालियर-भिंड- इटावा रोड पर मालनपुर से लेकर बरही तक सर्वाधिक यातायात खनिज परिवहन करने वाले ट्रक, डंपर और ट्रोला का रहता था। आठ जून 2023 में चंबल पुल पर भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगने के बाद इन वाहनों अब यूपी जाने के लिए दूसरा रूट अपना लिया है। बरही स्थित पीएनसी कंपनी के टोल प्लाजा के मुताबिक चंबल पुल चालू था, तब इस हाइवे पर प्रतिदिन 500 से ऊपर ट्रक, डंपर गुजरते थे। लेकिन अब इनकी संख्या बमुश्किल से 50 के आसपास रह गई हैं। इनमें भी यह वह भारी वाहन जो कि सब्जी अथवा अन्य डाक के हैं, जो कि फूप से दूसरे रूट के लिए डायवर्ट हो जाते हैं।
जिले में 72 वैध रेत खदान हैं। 2020 में जिले की रेत खदानों के टेंडर 83 करोड़ रुपये हुए थे। 2021 में 83 करोड़, 2022 में भी 83 करोड़ का टेंडर हुआ था। 2023 में दो कंपनी ने मिलकर करीब 73 करोड़ का ठेका लिया था। कंपनी ने सरकार को जिले की खदानों से रेत उठाने के लिए 73 करोड़ का भुगतान किया था, लेकिन जून 2023 में चंबल पुल बंद होने के बाद 2024 में एक भी कंपनी रेत खदानों के टेंडर डालने के लिए तैयार नहीं हुई है। हालांकि मार्च 2024 में माइनिंग कार्पोरेशन ने पहले 57 करोड़ में खदान नीलाम करने के लिए टेंडर जारी किए थे। लेकिन कंपनी टेंडर डालने के लिए आगे नहीं आईं। इसके बाद कार्पोरेशन ने 52 करोड़ और तीसरी बार में 50 करोड़ में टेंडर जारी किए गए हैं। ऐसे में 2024 में सरकार को करीब 73 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।
जिले में खदानों के टेंडर बेशक नहीं हुए हैं, लेकिन रात में चोरी-छुपे माफिया सिंध नदी का सीना छलनी कर रेत का उत्खनन कर रहे हैं। इसके बाद डंपर और ट्रैक्टर-ट्राली से अवैध तरीके से परिवहन किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो एक रात में अमायन, ऊमरी, रौन, भारौली, लहार क्षेत्र करीब 100 से अधिक ट्रैक्टर-ट्राली और 15 से 20 डंपर रेत भरकर निकलते हैं। बाजार में एक डंपर की कीमत 50 से 55 हजार रुपये हैं। जबकि ट्राली 15 से 18 हजार रुपये के बीच मिल रही है। ऐसे में पिछले 11 महीने में करीब 25 करोड़ का नुकसान हुआ है।
एमएच- 719 पर ट्रक, डंपर के साथ भारी वाहनों का ट्रैफिक घटने के बाद हाइवे किनारे के चाय, नाश्ता, होटल और ढाबों पर पिछले 10 माह से वीरानी छाई है। कारण यह है कि हाइवे किनारे के ज्यादातर होटल ढाबों पर खाने पीने के लिए ठहरने वाले ग्राहकों में एक बड़ी संख्या भारी वाहन के स्टाफ (ड्रायवर, कंडक्टर, क्लीनर) आदि की रहती है। जो कि नियमित रूप से इन पर रुकता है। लेकिन हाइवे पर 75 फीसदी टुक डंपर घटने से इन होटल, ढाबों पर 75 फीसदी ग्राहक भी घट गए हैं। ग्वालियर रोड पर मेहगांव के निकट संचालित होने वाले खाटूश्याम ढाबा के संचालक दिनेश उपाध्याय चंबल पुल बंद से एक महीने में 30 हजार रुपये का घाटा हुआ था। पिछले 11 महीने में करीब साढ़े तीन लाख रुपये का नुकसान हुआ है। ऐसे में उन्होंने अपना ढाबा ही बंद कर अन्य काम कर रहे हैं। मालनपुर से बरही तक 30 से अधिक ढाबा खुले थे।
मालनपुर से बराही तक भारी वाहनों का ट्रैफिक कम होने से सिर्फ होटल, ढाबे वाले परेशान नहीं है। बल्कि छोटे दुकानदारों पर भी इसका असर साफ देखने को मिल रहा है। स्थिति यह है कि ट्रक, डंपर की पंचर जोड़ने वाली दुकानें सूनी दिखाई देती है। इसी प्रकार से हाइवे किनारे बीड़ी, सिगरेट, गुटखा बेचने वाले छोटे दुकानदारों की भी बिक्री घट गई है। ज्यादातर होटल, ढाबों के पास पंचर और बीड़ी, सिगरेट, गुटखा की दुकानें भी है। जो कि भारी वाहनों का ट्रैफिक घटने से परेशान हैं।
जिले में खदानों के टेंडर न होने की वजह से शासकीय एवं प्राइवेट निर्माण कार्य कराने के लिए मनमाने दाम पर रेत खरीदना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि खदान चलने के समय रेत से भरी जो ट्रैक्टर-ट्राली छह से सात हजार रुपये में मिल जाती थी, आज वह 13 से 15 हजार रुपये के बीच में मिल रही है। ऐसे में निर्माण कराने वाले लोगों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
हमारे यहां भारी वाहनों की पंचर जोड़ी जाती है। पहले हर रोज 800 से एक हजार रुपये की दुकानदारों होती थी। अब 100 रुपये की भी हों हो रही है।
संतराम सिंह, रानीपुरा
चंबल पर ट्रैफिक शुरू करने का निर्णय इटावा प्रशासन को करना है। उन्होंने जो हमारी सामने शर्त रखी थी उसे हम मानने को तैयार हैं।
संजीव श्रीवास्तव, कलेक्टर भिंड