Viral Fever (नवदुनिया प्रतिनिधि) बैतूल। जिले में बारिश का दौर खत्म होने के साथ ही दिन में तेज गर्मी और रात में बढ़ रही ठंड से बच्चे वायरल फीवर का शिकार होने लगे हैं। एक सप्ताह से जिला अस्पताल की ओपीडी और निजी क्लीनिकों और अस्पतालों में बड़ी संख्या में वायरल फीवर से ग्रसित होने वाले मरीज पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल में प्रतिदिन 100 से अधिक बच्चे ओपीडी में आ रहे हैं।
बच्चों के लिए बेड कम पड़ रहे
शिशु वार्ड के 30 बेड पर 70 बच्चों को भर्ती कर उपचार किया जा रहा है। हालत यह है कि बच्चों को भर्ती करने के लिए बेड ही कम पड़ रहे हैं। इस स्थिति में सामान्य बीमार बच्चों को चिकित्सक दवा देने के बाद घर पर ही आराम करने की सलाह देकर रवाना कर रहे हैं। रविवार को भी जिला अस्पताल में वायरल फीवर की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या अधिक रही। हालांकि उपचार के बाद बच्चों को दूसरे या तीसरे दिन छुट्टी भी दी जा रही है।
बदल रहे मौसम के कारण बच्चों के अलावा हर उम्र के लोगों को बुखार, सिर दर्द और गले में खराश की समस्या उत्पन्न हो रही है। निजी अस्पताल के डा नूतन राठी ने बताया कि इस समय वायरल, स्क्रब टायफस के ही मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं। मौसम में आए बदलाव की वजह से भी संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। लोगों को सतर्कता बरतना चाहिए ताकि वे बीमार न हो पाएं। बुखार आने पर सबसे पहले चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए।
वर्तमान में जो बुखार आ रहा है उससे ठीक होने में पांच से सात दिन का समय लग रहा है। पहले तीन दिन दवाई लेने पर ही वायरल बुखार खत्म हो जाता था लेकिन इस बार मरीज को स्वस्थ होने में अधिक समय लग रहा है। चिकित्सकों के अनुसार अगस्त माह के अंतिम सप्ताह से ही वायरल फीवर के मरीज बढ़ने लगे थे। इसके बाद बारिश का दौर खत्म होने पर अचानक इनकी संख्या तेजी से बढ़ने लगी।
जिला अस्पताल में 30 बेड का शिशु वार्ड बनाया गया है। वर्तमान में वायरल फीवर का प्रकोप तेज होने की वजह से इस वार्ड में 70 बच्चों को भर्ती कर उपचार किया जा रहा है। अस्पताल की ओपीडी बुखार से पीड़ित होने के कारण उपचार कराने के लिए लगभग एक सैकड़ा बच्चे आते हैं। इनमें से 15 से 20 बच्चों को भर्ती करना ही पड़ रहा है। नए बच्चों की संख्या अधिक होने की स्थिति में बेड की संख्या कम पड़ जाती है। एक दो दिन पहले भर्ती बच्चों की सेहत में सुधार होने की स्थिति में उन्हें तत्काल छुट्टी कर बेड खाली करना पड़ता है।
जिला अस्पताल में दूरदराज के ग्रामीण अंचलों से बच्चे सबसे ज्यादा पहुंचते है। कई बार बीमारी को ठीक होने में कई दिन का समय लग जाता है इस स्थिति में बच्चों को इलाज के लिए अधिक दिन तक भर्ती करना पड़ जाता है। गले में खराश के बाद आ रहा बुखार:जिला अस्पताल और निजी क्लीनिकों पर उपचार कराने के लिए पहुंच रहे मरीजों में से अधिकांश को शुरूआत में गले में खराश की समस्या उत्पन्न हुई। इसके बाद शरीर में दर्द के साथ बुखार आने लगा। मरीज घबराकर अस्पताल पहुंच रहे हैं तो उन्हें वायरल फीवर बताया जा रहा है।
चिकित्सकों के अनुसार वर्तमान में मलेरिया, डेंगू के मरीज सामने नहीं आए हैं। आने वाले दिनों में दिन के समय ठंड बढ़ जाएगी तो वायरल फीवर का प्रकोप कम हो सकता है। जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डा जगदीश घोरे ने बताया कि इस समय वायरल फीवर तेजी से बढ़ रहा है। जिला अस्पताल में ही प्रतिदिन 100 बच्चे इससे पीड़ित होने के कारण उपचार कराने पहुंच रहे है। शिशु वार्ड में वर्तमान में 70 बच्चों को भर्ती कर उपचार किया जा रहा है।