MP Wheat Cultivation: बैतूल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। बैतूल जिले में इस बार सिंचाई के साधन बढ़न से दो लाख 75 हजार हेक्टेयर में किसानों ने गेहूं की फसल की बोवनी की है। मौसम में बार-बार हो रहे बदलाव की वजह से गेहूं की फसल पर खतरा मंडराने लगा है। पिछले दिनों कड़ाके की ठंड से गेहूं की फसल को लाभ मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अचानक ठंड गायब हो गई और तापमान बढ़ने लगा है। इससे गेहूं की पैदावार पर खासा असर पड़ने की संभावना कृषि विज्ञानी और किसान जता रहे हैं। इस सीजन में ठंड के तेवर बहुत कम देखने को मिले। पिछले तीन-चार दिनों से तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। न्यूनतम तापमान 14 डिग्री के पार पहुंच गया। वहीं अधिकतम तापमान भी 28 डिग्री के करीब है।
रबी फसल को बढ़ते तापमान से सबसे ज्यादा खतरा है। कृषि वैज्ञानियों का कहना है कि अभी से ही गेहूं की फसल में बालियां आने लगी हैं। फसल के लिहाज से न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से कम और अधिकत तापमान 25 डिग्री तक होना चाहिए। इससे अधिक तापमान बढ़ता है तो फसलों को नुकसान है। बढ़ते तापमान से ऐसा लग रहा है कि ठंड अब गायब हो गई है। आने वाले दिनों में भी तापमान कम होने की संभावना बहुत कम लग रही है।
कृषक ओमप्रकाश चौधरी ने बताया कि उन्होंने दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में गेहूं की फसल की बुवाई की थी। इसके बाद कुछ ही दिन कड़ाके की ठंड पड़ी। तापमान में लगातार उतार चढ़ाव आने के कारण गेहूं की बढ़वार भी अन्य वर्षों की अपेक्षा कम है और अभी से ऐेसा लग रहा है कि कुछ दिन में बालियां निकलने लगेंगी। इसका सीधा असर पैदावार पर होगा। सिंगनवाड़ी के किसान अजय पटेल ने बताया कि गेहूं की एक एकड़ में 20 से 22 क्विंटल की पैदावार होती रही है।
इस बार मौसम की मार की वजह से ऐसा लग रहा है कि खासा अंतर आ जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में करीब 45 दिन की फसल हो चुकी है और बालियां निकलने की स्थिति में आ गई है। यदि कुछ दिन में बालियां निकल गईं तो उनका आकार छोटा ही रह जाएगा जिससे पैदावार बहुत ही कम हो जाएगी। तापमान बढ़ने की वजह से किसानों को लगातार सिंचाई भी करना पड़ रहा है। रात में ठंड के साथ ही ओस की बूंदे गिरने से भी गेहूं के पौधों को बेहद लाभ होता है। ऐसी स्थिति इस बार नहीं बन पाई है।
किसान रविंद्र देशमुख ने बताया कि इस बार गेहूं के दाम अधिक हैं इस कारण से बेहतर पैदावार की उम्मीद लगाई थी। पिछले एक महीने से मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ ही है। इससे पैदावार बहुत ही कम हो जाएगी। बढ़ते तापमान के कारण खेतों की नमी तेजी से कम होने लगी है। जिन क्षेत्रों में नवंबर माह में गेहूं की फसल की बुवाई हुई है वहां पर तो बाली निकल गईं हैं और दाना बनने की अवस्था आ गई है। तापमान में अचानक बढ़ोत्तरी हो जाने से गेहूं की बाली में दाना छोटा रह जाने की आशंका किसान जता रहे हैं। खेतों में तेजी से कम होती नमी का प्रभाव भी गेहूं की फसल पर देखने को मिल रहा है।
कृषि विभाग के एसडीओ रामवीर सिंह राजपूत ने बताया कि जिले में दो लाख 75 हजार हेक्टेयर रकबे में गेहूं की बोवनी हुई है। तापमान के बढ़ने से गेंहू की फसल को नुकसान हो सकता है। पैदावार कम होने की संभावना अधिक बनी रहती है।
जनवरी माह में आमतौर पर जिले में तापमान बेहद कम होता रहा है लेकिन इस बार तो तापमान बढ़ते जा रहा है। जिन क्षेत्रों में नवंबर माह में गेहूं की बुवाई हुई है वहां फसल अभी बालियों पर है। तापमान बढ़ने से गेहूं को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। अभी फसल को कम तापमान की आवश्यकता है। दिसंबर माह में जिन किसानों ने गेहूं की बुवाई की है उन्हें तो बढ़ते तापमान के कारण पैदावार में कमी का सामना करना पड़ सकता है। - वीके वर्मा, कृषि विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद बैतूलबाजार