बैतूल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। जिले में खरीफ सीजन की शुरुआत किसानों के लिए मुसीबत भरी हुई है। समय से पहले आए मानसून के कारण किसान बीज का इंतजाम नहीं कर पाए और जब सहकारी समितियों में पहुंचे तो वहां बीज ही नहीं मिल पा रहा है। इसके साथ ही हर दिन हो रही बारिश से खेतों में इतनी अधिक नमी हो गई है कि बोवनी नहीं हो पा रही है। जिन किसानों के पास बीज मौजूद है उन्हें भी समय पर मानसून आने का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिले में इस बार अधिकांश किसानों के द्वारा मक्का के बजाय सोयाबीन की फसल की बोवनी करने का मन बना लिया है। इसे देखते हुए कृषि विभाग ने सोयाबीन के लिए ढाई लाख हेक्टेयर और मक्का के लिए डेढ़ लाख हेकटेयर का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए
42 हजार क्विंटल बीज की आवश्यकता है लेकिन सहकारी समितियों के पास सोयाबीन का मात्र 892 क्विंटल बीज ही मौजूद था जो आवंटन होते ही बिक गया है। अब निजी क्षेत्र में मौजूद 17 हजार क्विंटल बीज के भरोसे ही किसानों को रहना होगा। किसान अनिल महाजन ने बताया कि निजी क्षेत्र में सोयाबीन बीज के दाम ही शासन द्वारा तय नहीं किए गए हैं। इस वजह से 10 से 12 हजार रुपये के दाम पर किसानों को बेचा जा रहा है। निजी बीज विक्रेताओं के द्वारा किसानों को सर्टीफाइड बीज भी मंहगे दाम पर थमाया जा रहा है जिसके अंकुरित न होने पर किसान कोई दावा भी नहीं कर पाएंगे। किसानों का आरोप है कि जिले में कृषि विभाग का अमला और प्रशासन इस बार सोयाबीन का बीज सहकारी क्षेत्र में मौजूद न होने की जानकारी के बाद भी इंतजाम करने में पूरी तरह से नाकाम हो गया है। किसान सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें बैरंग लौटना पड़ रहा है। ग्राम बयावाड़ी के किसान मधु पवार ने बताया कि निजी दुकानों पर तो नकद राशि देकर बीज खरीदना पड़ रहा है। सहकारी समितियों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता तो किसानों को कर्ज पर मिल जाता। उन्होंने बताया कि एक तो उत्तम गुणवत्ता का बीज नहीं मिल रहा है और मिल भी रहा है तो उसके लिए नकद राशि का इंतजाम किसानों को करना पड़ रहा है। गोंडी गौला गांव के किसान किशनलाल का कहना है कि कोरोना में आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में बीज खरीदने के लिए सोसायटी ही एक माध्यम है। वहां ऋण के माध्यम से बीज मिल जाता है, लेकिन इस बार सोसायटी में बीज नहीं आया और बाजार में 11 से 12 हजार रुपये प्रति क्विंटल बीज मिल रहा है। इसे खरीदने में हम अक्षम हैं। इसलिए हम मजबूरी में मक्का की फसल ही लगा रहे हैं।
20 हजार क्विंटल बीज का किया इंतजाम-
कृषि विभाग के उप संचालक केपी भगत ने बताया कि पिछले साल बारिश और रोग लगने के कारण सोयाबीन की फसल खराब हो गई थी जिससे बीज की पैदावार भी कम हुई है। सरकारी क्षेत्र में सोयाबीन का 892 क्विंटल और निजी क्षेत्र में 19778 क्विंटल बीज की व्यवस्था की गई है। बीज की कमी को देखते हुए हम किसानों को यह सलाह दे रहे हैं कि अपने पास मौजूद या आसपास के किसानों के पास उपलब्ध बीज के अंकुरण का परीक्षण स्वयं करें और उसकी बोवनी कर लें।
हर दिन बारिश से अटकी बोवनी-
जिले में हर दिन शाम ढलते ही बारिश हो रही है जिसके चलते खेतों में नमी कम ही नहीं हो पा रही है। सिंगनवाड़ी के कृषक लल्ला पटेल ने बताया कि मानसून समय पर आने से राहत तो मिल गई थी लेकिन हर दिन शाम होते ही हो रही बारिश से बोवनी नहीं हो पा रही है। बारिश के कारण खेतों में अब खरपतवार तेजी से उग रही है। यदि एक सप्ताह के भीतर बोवनी नहीं हुई तो किसानों को पहले खेतों से खरपतवार समाप्त करना होगा और उसके बाद ही बोवनी हो पाएगी। पथरीली जमीन वाले क्षेत्रों में तो किसान दोपहर तक खेतों में उग आए खरपतवार को नष्ट करने में जुटे रहते हैं लेकिन शाम होते ही फिर बारिश होने से उसकी स्थिति जस की तस हो रही है।