बड़वानी (नईदुनिया प्रतिनिधि) Barwani Narmada River। बड़वानी के समीप राजघाट स्थित नर्मदा नदी में बीते 15 दिन के दौरान अचानक डूब बढ़ने लगी है। वर्षा का मौसम चल रहा हैं, लेकिन इस समय नर्मदा का जलस्तर ऊपरी बांधों का पानी छोड़ने से लगातार बढ़ रहा है। शनिवार शाम तक नर्मदा का जलस्तर 125.100 मीटर तक पहुंच गया, जिससे नर्मदा खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई है।
जलस्तर बढ़ने से तटीय क्षेत्रों में डूब आने लगी है। बड़वानी जिले के तटीय क्षेत्रों के पुराने घाट, मंदिर डूबने लगे हैं। वहीं राजघाट में बनाए नए घाट पर बनी छत्रियां ओझल हो गई, तो घाट का आधे से अधिक हिस्सा पानी में समा गया। वैसे बीते दो वर्षा के दौरान जुलाई माह में नर्मदा का जलस्तर खतरे के निशान से 8 से 10 मीटर तक नीचे रहा था। वहीं वर्ष 2020 में जुलाई माह में जलस्तर 121 मीटर तक था।
नर्मदा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने के बाद अब राजघाट के पूर्व नाले में पानी जमा होने लगा हैं। 130 मीटर तक जलस्तर पहुंचने पर राजघाट का सड़क मार्ग बंद होकर टापू की स्थिति बनती है।
गौरतलब है कि दशकों पहले सेंट्रल वाटर कमीशन द्वारा ग्राम चिखल्दा के समीप राजघाट पर नर्मदा के खतरे के निशान का मापदंड तय किया गया था। यह मापदंड मध्य प्रदेश में ऊपरी छोर पर जो पानी या बाढ़ आती थी, उसके हिसाब से तय किया था। जो आज तक चल रहा है जबकि साल 2017 में गुजरात में बने सरदार सरोवर बांध के गेट लगने के बाद मध्यप्रदेश के नर्मदा के 140 किलोमीटर के हिस्से में बैक वाटर भरता है। 7 साल बीत जाने के बाद भी आज खतरे का निशान पुराना ही बना हुआ है।
गौरतलब है कि साल 2017 के बाद से डूब क्षेत्र में नर्मदा का जलस्तर 138 .68 मीटर पर पहुंच जाता है। यह सरदार सरोवर बांध का पूर्ण जलस्तर है। ऐसे में अगस्त से सितंबर में क्षेत्र में जलस्तर बढ़ता है और अप्रैल तक बना रहता है। ऐसे में भी सालों पुराने खतरे का निशान 123.88 मीटर को ही माना जा रहा है। उसके हिसाब से क्षेत्र में नर्मदा 6 से 8 माह तक खतरे के निशान के ऊपर ही रहती है।