Madhya Pradesh News: माही महेश चौहान, बालाघाट। नईदुनिया प्रतिनिधि। बाघ और तेदुओं में घातक वायरस के कारण संक्रामक बीमारी कैनाइन डिस्टेंपर फैलने की आशंका है। कान्हा नेशनल पार्क पिछले दिनों मृत मिले दो तेंदुओं में इस रोग की पुष्टि होने के बाद नेशनल पार्क से सटे बालाघाट के जंगल में भी मृत तेंदुए में इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं। मालूम हो कि हाल ही में दक्षिण वन मंडल सामान्य की धापेवाड़ा सर्किल के आगरवाड़ा में दो तेंदुए मृत पाए गए थे। इनके पंजे उल्टे मिले और शव सड़ गया था। यह कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी के लक्षण हैं। इससे वन विभाग सकते में है।
ये हैं बीमारी के लक्षण
कैनाइन डिस्टेंपर वायरस के कारण यह बीमारी कुत्तों में पाई जाती है। इस बीमारी की शुरुआत पिछले पैरांे से होती है। जिसके बाद तेज बुखार आता है। कुछ मामलों में पिछले दोनों पैरों के बीच छाले भी देखने मिलते हैं और जानवर में पिछले पैरों में लंगड़ाने और पंजों के उल्टे होने के बाद लकवा जैसी शिकायत भी देखने मिलती है जो धीरे धीरे करके पिछले पैरों से होते हुये आगे के पैरों को भी लकवाग्रस्त कर पूरे शरीर में फैल जाती है। इसके बाद शरीर भी सड़ने लगता है और जानवर की मौत हो जाती है।
कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी)
- इस वायरस से कुत्तों के श्वसन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, श्वसन तथा केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के साथ ही आंखों में गंभीर संक्रमण का खतरा बनता है।
- सीडीवी तेंदुओं, लोमड़ी, हाइना, बाघ और शेरों को भी प्रभावित कर सकता है।
- वन्य प्राणी कई बार शिकार को अधूरा खाकर छाेड देते हैं। कुत्ते उस शिकार को खाते हैं और उसे कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से संक्रमित कर देते हैं। अन्य जानवर जब इस शिकार को खाते हैं तो वे इस वायरस से संक्रमित हो जाते हैं।
- संक्रमित कुत्तों से इस बीमारी का संक्रमण अन्य वन्य प्राणियों में बढ़ता है।
लार से फैलती है ये बीमारी
बालाघाट जिले में कान्हा नेशनल पार्क के साथ ही बड़ा जंगल फैला हुआ है। जिसमें बाघ व तेंदुआ समेत अन्य मांसाहारी वन्यप्राणी विचरण करते हैं। वहीं आबादी क्षेत्र भी होने के चलते कुत्ते भी जंगलों में विचरण करते हैं। संक्रमित कुत्तों की लार से यह संक्रमण अन्य वन्य प्राणियों में फैलने की आशंका है।
इस तरह रोकथाम
विशेषज्ञों के अनुसार मुख्यत: कुत्तों में पाए जानी वाली कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी के इलाज के लिए वैक्सीन मौजूद है। इस वैक्सीन के लगाने से इलाज भी संभव है। यह वैक्सीन अभयारण्य से सटे जंगल में घूमने वाले और आसपास की आबादी में पालतू कुत्तों को लगाई जा सकती है। जंगल में वन्य प्राणियों को लगाना संभव नहीं है।
इनका कहना....
धापेवाड़ा सर्किल के आगरवाड़ा के जंगल में दो तेंदुए मृत मिले हैं। जिनमें कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी होने की आशंका है। इन तेंदुओं के पैर के पंजे उल्टे मिले हैं और शव सड़ गए हैं। यह लक्षण इस बीमारी के हैं। इनका बिसरा जांच के लिए भेजा गया है।
-डॉक्टर घनश्याम परते, पशु चिकित्सक