देश-विदेश में पसंद की जाती हैं मप्र में अशोकनगर जिले के चंदेरी की साड़ियां
आकाश सिंह भदौरिया, अशोकनगर। देशभर में प्रसिद्ध मप्र की चंदेरी साड़ियों का बाजार मंदी के दौर में है। यहां कोरोना कर्फ्यू के दो माह में भी बुनकरों के पांच हजार हथकरघा चलते रहे। नतीजा बड़ी संख्या में साड़ियां तैयार कर लीं, लेकिन परिवहन बंद होने से इनकी बिक्री नहीं हुई। अभी अनलॉक के बाद भी व्यापार पटरी पर नहीं आया है। ऐसे में चंदेरी में व्यापारियों के पास करीब 40 हजार साड़ियों का स्टॉक तैयार हो गया है। इनकी कीमत लगभग 24 करोड़ रुपये है। इस स्थिति में बुनकरों के सामने अपना परिवार पालने का संकट खड़ा हो गया है तो व्यापारियों को भी मंदी की मार से गुजरना पड़ रहा है।
अशोकनगर जिले के छोटे-से कस्बे चंदेरी की साड़ियां न सिर्फ देशभर में, बल्कि अन्य देशों में भी पसंद की जाती है। रेशम और सूती धागे से इन साड़ियों को बुनकर अपने हाथों से बनाते हैं। यहां साड़ियों के 45 बड़े तो 100 के करीब छोटे व्यापारी हैं। साड़ी शोरूम संचालक दशरथ कोली कहते हैं कि पिछले लॉकडाउन से ही व्यापार ठप था, जब यह पटरी पर आने को हुआ तो दूसरी बार के कोरोना कर्र्फ्यू ने मार दे दी। अभी लगभग 40 हजार साड़ियां व्यापारियों के पास रखीं हैं। इनकी बिक्री नहीं हो पा रही। साड़ी व्यापारी वसीम अंसारी बताते हैं कि परिवहन ठप होने से दूसरे राज्यों में साड़ियां नहीं भेज पाए। अभी भी डिमांड बहुत कम ही आ रही है। सरकार को हमारी मदद करना चाहिए।
बुनकरों के सामने भी संकट
चंदेरी साड़ी का व्यापार ठप होने से बुनकरों के सामने भी संकट है। बुनकर प्रमोद कोली बताते हैं कि पहले एक बुनकर सप्ताह में दो हजार रुपये तक कमा लेता था, लेकिन अब ऑर्डर कम मिलने के कारण 400-500 रुपये ही कमा पा रहे हैं।
एक लाख रुपये तक की साड़ी उपलब्ध
चंदेरी में अलग-अलग डिजाइन की साड़ियां तैयार की जाती है। बाजार में एक लाख रुपये तक की साड़ी उपलब्ध है। इसके अलावा यहां सूती दुपट्टे, सूट व पुरुषों के लिए कुर्ते भी तैयार किए जाते हैं।
इनका कहना है
चंदेरी साड़ी के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए हम पूरी सहायता करते रहे हैं। आगे भी इनका पूरा सहयोग किया जाएगा। वर्तमान संकट पर हमारी पूरी नजर है।
- अभय वर्मा, कलेक्टर, अशोकनगर