अशोकनगर, नवदुनिया प्रतिनिधि। शुक्रवार को दिगंबर जैन पंचायत के तत्वावधान में जिला मुख्यालय में हजारों की संख्या में जैन समाज के साथ अन्य समाजों के लोगों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन कलेक्टोरेट पहुंचकर सौंपा। महावीर के अनुयायियों ने अंहिसा का मार्ग अपनाते हुए झारखंड में जैन तीर्थ सम्मेदशिखर जी को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने का विरोध किया। जिला मुख्यालय पर एक बड़ी संख्या में महिलाओं व पुरूषों ने शहर के प्रमुख मार्गों से मौन जुलूस निकालकर कलेक्टोरेट पहुंचे जहां पर ज्ञापन देते हुए केंद्र सरकार को निर्णय वापस लेने के लिए आग्रह भी किया। जिले के इतिहास में पहली बार ऐसा देखने मे आया कि सिर्फ एक समाज नही बल्कि सभी समाज मिलकर एक समाज विशेष के तीर्थ क्षेत्र के समर्थन में मैदान में आए। सबसे बड़ी बात यह रही कि इतनी संख्या में लोगो ने बेहद शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रकट किया
झारखंड में स्थित जैन समाज के प्रसिद्ध और प्रमुख तीर्थ क्षेत्र सम्मेद शिखर जी को देश की पर्यटन स्थलों की सूची में शामिल करने का पूरे देश में जैन समाज द्वारा विरोध किया जा रहा है। दरअसल तीर्थ क्षेत्र सम्मेद शिखर जी जैन समाज का सबसे महत्त्वपूर्ण आस्था का स्थल है। बताया जा रहा है कि इसी क्षेत्र से 20 तीर्थंकरो ने मोक्ष प्राप्त किया है। जैन समुदाय सहित अन्य समाजो की आस्था भी इस क्षेत्र से जुड़ी हैं। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां भक्ति व धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए परिवार व समाज जनों सहित पहुंचते हैं। ऐसे के यदि इस पवित्र तीर्थ क्षेत्र को पर्यटन स्थल बनाया जाता है तो यहां पूरे देश के समाज की आस्था पर असर पड़ेगा। समाज के लोगों का मानना है कि पर्यटन स्थल पर लोग भक्ति के लिए नहीं, बल्कि मनोरंजन के लिए जाते हैं और तीर्थ क्षेत्र पर सिर्फ पूजन की भावना रहती है। समा के वरिष्ठजनों ने यह भी बताया कि अभी शांतिपूर्ण तरीके से किये गए इस विरोध के बाद यदि उनकी मांग नही मानी गई तो बहुत बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।