The Sky Is Pink Review : जबरदस्त इमोशन्स से भरी प्रियंका चोपड़ा की फिल्म ने 'वॉर', 'ड्रीम गर्ल' की दुनिया से बिल्कुल दूर पहुंचा दिया। यह बदलाव अच्छा है। घोर नकली दुनियावी फिल्मों की भीड़ में फरहान अख्तर और प्रियंका चोपड़ा की इस फिल्म से खुश हुआ जा सकता है। ये फिल्म मौत की बात करती है, मौत से ज्यादा उस मां की बात करती है जो यह जानती है कि कभी भी उसकी बेटी मर सकती है। और मौत से ज्यादा सच्चा क्या हो सकता है। वैसे सिर्फ इमोशनल स्तर पर ही आप इस फिल्म से जुड़ सकते हैं, क्योंकि इसकी हाई प्रोडक्शन वैल्यू इसे लंदन भी ले जाती है और दिल्ली के बाहरी इलाकों में बने आलिशान फार्म हाउस पर भी।
ऐसे में इस उच्च स्तरीय जीवन की कल्पना करना हर किसी के लिए सहज नहीं है। अब फिल्म से कनेक्ट होने का कोई चारा नहीं रह जाता तो भावनात्मक तौर पर इससे जुड़ने की एक मजबूरी बनती है। वैसे यह सौदा अच्छा भी है। यही वो बात भी है जिससे निर्देशक, दर्शकों को इस कहानी से जोड़ने में मेहनत करती है।
'मार्गरिटा विद ए स्ट्रॉ' बनाने वाली शोनाली बोस इस फिल्म के लिए नया विषय तो चुनती हैं लेकिन कहानी यह भी किसी सामान्य इंसान की नहीं है। यह कहानी एक रेअर जेनेटिकल डिसआर्डर की शिकार लड़की की कहानी है जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं के बराबर है। इस रोल को जायरा वसीम के जिम्मे किया गया।
कहानी जैसा कुछ है नहीं... सिर्फ तमाम तरह की भावनाएं हैं। जिन्हें आप बस देखते चले जाइए। यह उम्मीद भी मत कीजिए कि फिल्म कुछ सिखाकर जाएगी। मामूली-सी बात यह कहती है, जिसे समझा जा सकता है। वो बात यह है कि दुख को झेलने के सबके अपने तरीके होते है, किसी को सही या किसी को गलत नहीं कहा जा सकता।
एक्टिंग के मामले में प्रियंका चोपड़ा की दादगिरी चलती है। वो किसी के लिए कोई मौका नहीं छोड़ती हैं। हर सीन में उनकी दादागिरी है। वो बता देती हैं कि वाकई इंटरनेशनल स्तर की स्टार हैं। फरहान भी अच्छा साथ देते हैं लेकिन फिल्म की हीरो प्रियंका हैं। उनकी इस फिल्म पर 'भारत' जैसी 1000 फिल्में कुर्बान, जिसे उन्होंने इसे साइन करने के दौर में ही छोड़ दिया था।
इसे परिवार के साथ देखा जा सकता है। युवा वैसे भी War में व्यस्त हैं तो शांत सिनेमाहॉल में परिवार को यह फिल्म दिखाई जा सकती है।