एंटरटेनमेंट डेस्क, इंदौर। Tejas Film Review: कंगना रनोट की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'तेजस' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। कंगना ने भी इस फिल्म का खूब प्रमोशन किया है। फिल्म देखने के बाद इसका फर्स्ट रिव्यू भी हम आपके लिए लेकर आए हैं। क्या आप जानते हैं कि तेजस विमान की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये विमान एक साथ दस टारगेट्स को ट्रैक करते हुए हमला करता है। साथ ही इसके टेकऑफ के लिए बड़े रनवे की जरूरत नहीं होती है। यह हर तरह के मौसम में काम कर सकता है। इन्हीं खूबियों के कारण तेजस एक अनोखा एयरक्राफ्ट है।
दरअसल, साल 2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस विमान का नामकरण किया था। इसी पर आधारित कंगना रनोट की यह फिल्म बनाई गई है। फिल्म में विमान की खूबियों को बेहतरीन तरीके से पेश किया गया है, लेकिन कहीं ना कहीं फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले और बेहतर किया जा सकता था। इस फिल्म को सर्वेश मेवाड़ा ने लिखा है और उन्होंने ही इसे निर्देशित किया है। फिल्म के ओपनिंग शॉट से विंग कमांडर तेजस गिल से परिचय करवाया जाता है। वह निर्देशों का पालन न करते हुए, अपनी जान को जोखिम में डालती है और निषिद्ध घोषित द्वीप में अपने साथी ही जान बचाती हैं। साथ ही फिल्म में प्रख्यात गायक एकवीर के साथ उनकी प्रेम कहानी को भी दिखाया गया है।
वहीं, एक भारतीय एजेंट प्रशांत को पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा पकड़ने का वीडियो जारी होता है। यह वायु सेना की ट्रेनिंग के दौरान तेजस का सहयोगी होती है। वह उसे इशारे से कोई जानकारी देने की कोशिश करता है। इसके बाद तेजस उसे बचाने के मिशन पर निकल जाती हैं। इसी बीच पता चलता है कि 26 नवंबर, 2008 को एक हमले में एकवीर और उसके परिवार की मृत्यु हो चुकी होती है। तीन साल पहले रिलीज हुई फिल्म गुंजन सक्सेना भी भारतीय महिला पायलट की सच्चा घटना पर आधारित थी। इसमें भी वायु सेना की कार्यप्रणाली को काफी अच्छे से प्रदर्शित किया गया था। लेकिन तेजस फिल्म को शुरुआत में ही काल्पनिक कहानी बता दिया गया है।
फिल्म का फर्स्ट हाफ तेजस की निजी जिंदगी के आसपास होती है। कहानी का मुख्य संदेश महिला सशक्तिकरण, लिंग भेद और देशभक्ति है। इस मुद्दों पर काफी काम किया गया, लेकिन स्क्रीनप्ले काफी फीका रह पड़ गया। अनुशासनात्मक कार्रवाई के दौरान तेजस सारी जिम्मेदारियां खुद पर ले लेती है, जो कि दर्शकों के लिए कुछ नया नहीं है। कई बार यह फिल्मों में देखा जा चुका है। वहीं, जब तेजस पुरुषों के शौचालय में घुस जाती है, तो काफी हड़कंप मचना चाहिए था, जो कि काफी नॉर्मल सीन बनाकर छोड़ दिया गया। इसके बाद कहानी प्रशांत को बचाने पर आधारित हो जाती है। तेजस के साथ उसकी साथी महिला पायलट आफिया को मिशन पर भेजा जाता है।
पाकिस्तानियों की आंख में धूल झोंक कर तेजस रनवे पर विमान खड़ा कर, उड़ान भरने में सफलता हासिल करती है। ये दृश्य फिल्म में काफी रोचक हैं। आसमान में तेजस का दुश्मन के विमानों से लोहा लेने वाले सीन्स दर्शकों को फिल्म की कहानी से बांधे रखते हैं। इतना ही नहीं क्लाइमैक्स में राम मंदिर पर सुनियोजित हमले का प्रसंग बिल्कुल बचकाना नजर आया। इससे यह दिखाई दे रहा था कि खुफिया एजेंसियां इस बारे में पता लगा ही नहीं पाईं। फिल्म की कहानी में सारा भार तेजस पर है। लेखन स्तर पर कहानी को और बेहतर किया जा सकता था। फिल्म में मुंबई हमले का भी जिक्र किया गया है। वह सीन काफी रोमांचित बनाया गया है।
फिल्म का खास आकर्षण अंशुल चौहान रहे हैं। कंगना के होते हुए भी उन्होंने हाइलाइट होने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वरुण मित्रा के हिस्से में कुछ खास काम नहीं आया है। लिखे गए गीत और संगीत भी काफी साधारण है। स्पेशल इफेक्ट्स ने भी फिल्म को काफी कमजोर बना दिया है।