मुख्य कलाकार: कपिल शर्मा, इशिता दत्ता, मोनिका गिल, इनामुल हक आदि।
निर्देशक: राजीव ढींगरा
निर्माता: कपिल शर्मा
अवधि: 2 घंटे 41 मिनट
कपिल शर्मा का नाम कौन नहीं जानता? निश्चित ही कॉमेडी के सर्वश्रेष्ठ कलाकार कपिल ने देश को हंसा-हंसा कर उनका दिल जीता है। कपिल हमेशा एक बात कहते हैं कि कॉमेडी एक सीरियस बिजनेस है तो कपिल की फ़िल्म 'फिरंगी' देखने के बाद एक बात बहुत जोर से कहने की इच्छा हो रही है कि कपिल एक्टिंग भी एक सीरियस बिजनेस है!
हैरानी की बात यह है कि स्टैंडअप कॉमेडी के बादशाह कपिल शर्मा अपने शो में तो कमाल का परफॉर्म कर जाते हैं मगर जहां बात अभिनय की आती है तब वहां पर बुरी तरह से मार खाते हैं। 'फिरंगी' एक उदाहरण है इस बात का की फ़िल्म निर्माण एक टीम वर्क है और इस टीम में एक भी कमजोर खिलाड़ी होगा तो पूरी टीम हार जाती है।
'फिरंगी' कहानी है पंजाब के एक छोटे से गांव की, जहां पर मंगा (कपिल शर्मा) अपने पूरे कूनबे के साथ रह रहा है। अपने दोस्त की शादी में जब वह दूसरे गांव पहुंचता है तो वहां पर उसके दिल पर छा जाती है सरगी( इशिता दत्ता)। संयोग से इसी बीच बेरोजगार मंगे को अपने हुनर के कारण अर्दली का काम मिल जाता है। इस बीच राजा गांव वालों की जमीन हड़पने की साजिश करता है और इस सब में दोषी हो जाता है मंगा!
क्या मांगा गांव वालों की जमीन के कागज वापस ला पाएगा? क्या राजा खाली कराने के अपने हुक्म को रद्द करेगा? इसी ताने बाने पर बुनी गई है फ़िल्म 'फिरंगी'। फ़िल्म का प्रोडक्शन डिजाइन कमाल का है, निर्देशक राजीव ढींगरा की कहानी भी मनोरंजक लगी है, कहानी का स्क्रीनप्ले भी बेहतरीन लिखा गया है मगर, इसमें कपिल शर्मा के अभिनय का तड़का और लग जाता तो फ़िल्म में और निखार आ जाता!
अभिनय की अगर बात की जाए तो कपिल शर्मा का अभिनय सपाट रहा। उन्हें अगर आगे भी फ़िल्में करनी है तो अपने अभिनय पर ध्यान देना जरूरी है! स्टेज पर परफॉर्मेंस देना और कैमरा के आगे अभिनय की बारीकियों को पेश करना यह दोनों ही अलहदा पेशा है। राजा के रूप में कुमुद मिश्रा फ़िल्म पर पूरी तरह छाए रहे।हर एक सीन में उन्होंने बारीकियों से काम किया। जो फ़िल्म को एक अलग मुकाम पर ले जाता है।
इशिता दत्ता के हिस्से संवाद जरूर कम आए मगर उन्होंने पूरी फ़िल्म पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। इनामुल हक राजेश शर्मा और अंजन श्रीवास्तव जैसे दमदार अभिनेता भी अपने-अपने किरदारों में जान फूंकने में कामयाब रहे।
निर्देशक राजीव ढींगरा अपने सारे ही विभागों में अव्वल दर्जे से पास होते हैं मगर, इसके साथ ही अगर वह कपिल शर्मा से परफॉर्मेंस निकालने में कामयाब हो जाते साथ ही फ़िल्म की लंबाई 20 मिनट से कम कर देते तो फ़िल्म एक अलग आयाम पर होती। इन 2 कारणों से एक शानदार फ़िल्म औसत फ़िल्म में बदल गई।
फ़िल्म का संगीत अच्छा है! कैमरा वर्क कमाल का है! एडिटिंग पर थोड़ा सा और काम किया जाना था। प्रोडक्शन बेहतरीन है। कुल मिलाकर 'फिरंगी' एक औसत फ़िल्म है। अगर आप कपिल शर्मा के फैन हैं तो आप यह फ़िल्म देख सकते हैं ।
- पराग छापेकर