एंटरटेनमेंट डेस्क, इंदौर। The First Villain of Hindi Cinema: हमने अक्सर फिल्मों में देखा है कि दर्शकों को हीरो की एंट्री से ज्यादा विलेन की एंट्री दिलचस्प लगती है। हर नई फिल्म में लोग यह देखना चाहते हैं कि आखिर विलेन कौन होगा। मेकर्स हीरो को तो शानदार अंदाज में पेश करते ही हैं, लेकिन विलेन की एंट्री भी उतनी ही बेहतरीन होती है।
हर दौर में एक न एक कलाकार ऐसा रहा है, जिसने विलेन बनकर अपनी अलग ही छाप छोड़ी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदी सिनेमा का पहला विलेन कौन था? आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं।
बता दें कि हिंदी सिनेमा की शुरुआत 1913 में हुई थी। दादा साहेब फाल्के ने ‘राजा हरिश्चंद्र’ नाम की पहली फिल्म बनाई थी, उसी समय सभी ने यह जाना था कि फिल्म क्या होती है। इस दौर में एक्टर हीरालाल भी पैदा हुए थे। एक वे ही थे जिन्होंने हिंदी सिनेमा में पहले विलेन का किरदार निभाया।
आज हम आपको एक्टर हीरालाल और बॉलीवुड के पहले विलेन की कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं, जिन्हें बॉलीवुड एक्ट्रेस तबस्सुम ने अपने यूट्यूब चैनल पर शेयर किया था।
हीरालाल साइलेंट फिल्मों में काम करते थे। हीरालाल का जन्म 1912 में लाहौर में हुआ था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद हीरालाल अपने पिता के बिजनेस को छोड़ फिल्मों में आना चाहते थे। उस समय के मशहूर प्रोड्यूसर ए आर कारदार ने हीरालाल को उनका पहला ब्रेक 1929 में दिया था।
इस फिल्म का नाम सफदरजंग था, जो कि एक साइलेंट फिल्म थी। दरअसल, बचपन से ही हीरालाल को नेगेटिव रोल पसंद आते थे। वे जब बचपन में अपने माता-पिता के साथ रामलीला देखने जाते थे, तो उन्हें राम से ज्यादा रावण का किरदार पसंद आता था।
1945 में ही उन्होंने मुंबई आने से पहले शादी कर ली थी। उनकी पत्नी का नाम दर्पण रानी थी, वे बहुत खूबसूरत थीं। इस शादी से दोनों के 5 बेटे और एक बेटी है। उनका एक बेटा फिल्मी दुनिया में भी आया, जिसका नाम इंदर ठाकुर था। वे फिल्म नदिया के पार में ओमकार के किरदार में नजर भी आए थे।