Hindi Diwas: सिनेमा की दुनिया का आरंभ भारत में 1913 में हुआ था। दादा साहेब फाल्के ने पहली फिल्म हरिश्चंद्र रिलीज की थी। वहीं उसी साल दूसरी फिल्म मोहिनी भस्मासुर रिलीज हुई थी। वह समय मूक फिल्मों का था। वे फिल्में सिर्फ चलचित्र हुआ करती थीं। उनमें कोई आवाज नहीं होती थी। दादा साहेब फाल्के ने कई फिल्में बनाई लेकिन वे सिर्फ एक ही ऐसी फिल्म बना पाए जिसमें आवाज थी। जो कि 1937 में रिलीज हुई फिल्म गंगावतरण थी। इससे पहले 14 मार्च 1931 को भारतीय सिनेमा की पहली बोलती फिल्म आलम आरा रिलीज हो चुकी थी। जिसके निर्देशक आर्देशिर ईरानी थे। यह पहली हिंदी फिल्म ऐसी थी जिसकी शूटिंग के लिए विदेश से कैमरा मंगाया था। आज हिंदी सिनेमा की ऐसी कई फिल्में हैं जिन्होंने दुनिया भर को अपना दीवाना बनाया था। हिंदी दिवस के मौके पर ऐसी ही 10 फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं।
1951 में रिलीज हुई हिंदी फिल्म आवारा ने विश्व भर में अपनी छाप छोड़ी थी। इस फिल्म के निर्माता, निर्देशक और अभिनेता राज कपूर ही थे। यह फिल्म सोशिए इकाॅनोमिक डिफरेंस पर आधारित थी। यह सोवियत यूनियन, ईस्ट एशिया, अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में इंस्टेंट हिट साबित हुई थी। वहीं टाइम मैगजीन की दुनिया भर की 100 ग्रेटेस्ट फिल्मों में से एक जगह इस फिल्म को मिली थी।
2001 में रिलीज हुई फिल्म लगान हिंदी सिनेमा के इतिहास की सबसे लोकप्रिय फिल्मों में से एक है। यह आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित है। यह तीसरी ऐसी फिल्म थी जिसे एकेडमी अवार्ड्स के लिए नामांकित किया गया था। विश्व की सबसे बड़ी फिल्म रेटिंग वेबसाइट रोटेन टाॅमेटोज पर यह फिल्म 95 प्रतिशत फ्रेस रेटिंग रखती है। एम्पायर मैगजीन ने भी लगान को दुनियाभर की 100 बेस्ट फिल्मों में से 55 वां स्थान दिया था। टाइम मैगजीन ने भी इस फिल्म को ऑल टाइम 25 बेस्ट स्पोर्ट्स मूवी में जगह दी थी।
1998 में रिलीज हुई फिल्म को दीपा मेहता ने निर्देशित किया था। यह फिल्म 1947 में हुए पार्टीशन पर आधारित थी। व्यावसायिक रूप से यह फिल्म ज्यादा सफल नहीं रही। लेकिन दुनिया भर में इसे काफी सराहा गया था। पुल्तिजर प्राइज विजेता समीक्षक रोजर एबर्ट ने इस फिल्म को 4 में से 3 स्टार दिए थे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने दीपा मेहता के निर्देशन और फिल्म की खूब तारीफ की थी।
भारत की तरफ से ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होने वाली पहली फिल्म मदर इंडिया ही थी। यह ऑल टाइम ग्रेटेस्ट बॉक्स ऑफिस हिट फिल्मों में शामिल की गई है। साथ ही इसे विश्व सिनेमा की चुनिंदा बेस्ट फिल्मों में गिना जाता है। कारलाॅवी वैरी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी इस फिल्म ने अवार्ड जीता था।
ये फिल्म 1998 में रिलीज हुई थी। यह आतंकवाद के विषय को उठाने वाली फिल्म थी। इसका निर्देशन मणिरत्नम ने किया था। बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में फिल्म को नेटपेट अवार्ड से नवाजा गया था। इरा न्यू हाॅराइजन फिल्म फेस्टिवल और हेलिंस्की इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में मूवी की सिनेमेटोग्राफी और स्क्रीनप्ले के लिए काफी तारीफ हुई थी। यूएस और यूके बॉक्स ऑफिस पर भी फिल्म ने अच्छी कमाई की थी।
दंगल फिल्म का निर्देशन नितेश तिवारी ने किया था। यह फिल्म कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली महिला रेसलर गीता फोगाट के पिता महावीर फोगाट पर आधारित थी। जिन्हें किसी कारणवश कुश्ती छोड़नी पड़ी थी। लेकिन अपनी रेसलर बेटियों को उन्होंने ही ट्रेंड किया था। इस फिल्म को दुनियाभर से काफी प्यार मिला था। फिल्म ने भारत में 538 करोड़ की कमाई की थी। विदेश में इस फिल्म ने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। 1430 करोड़ कमाए थे जो कि हिंदी सिनेमा के लिए सबसे अधिक है।
देवदास को संजय लीला भंसाली ने निर्देशित किया था। यह फिल्म दर्शकों के दिलों को भी जीतने में सफल रही थी। भारत की ओर से इसे एकेडमी अवार्ड के लिए भी भेजा गया था। बेस्ट विदेशी भाषा फिल्म कैटेगरी में बाफ्टा अवार्ड के लिए भी यह नॉमिनेटेड हुई थी। टाइम मैगजीन ने इसे दुनिया की टॉप 10 फिल्मों की सूची में जगह दी थी। मैगजीन की ओर से विश्व सिनेमा की बेस्ट 100 फिल्मों में देवदास को 74वें स्थान पर रखा गया था।
मुंबई के बम विस्फोट पर आधारित इस फिल्म को अनुराग कश्यप ने निर्देशित किया था। फिल्म को लेकर कंट्रोवर्सीज भी हुई थी। इन सबको पीछे छोड़ते हुए फिल्म ने लाॅस एंजेलिस में आयोजित इंडियन फिल्म फेस्टिवल में ग्रांड ज्यूरी प्राइज जीता था। लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल में भी इस फिल्म को बेस्ट फिल्म अवार्ड दिया गया था। न्यूयॉर्क टाइम्स और हॉलीवुड रिपोर्टर की ओर से भी फिल्म को काफी सराहा गया था।
मीरा नायर द्वारा निर्देशित फिल्म मुंबई के स्ट्रीट किड्स पर आधारित थी। फिल्म में दिखाया गया था कि वे किसी तरह से स्थितियों से निपटते हैं। फिल्म को दुनियाभर से दर्शकों को काफी प्यार मिला था। फिल्म ने नेशनल बोर्ड ऑफ रिव्यू अवार्ड जीता था। कांस फिल्म फेस्टिवल में सलाम बाॅम्बे को गोल्डन कैमरा और ऑडियंस अवार्ड भी मिला था। इसके अलावा फिल्म को माॅन्टेरियल वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल में भी तीन अवार्ड जीते थे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी बनी टाॅप 1000 फिल्मों में सलाम बाॅम्बे को जगह दी थी।
द लंच बॉक्स का निर्देशन रितेश बत्रा ने किया था। इस फिल्म को इंडिया, जर्मनी, फ्रांस और यूएस की प्रोडक्शन कंपनियों ने मिलकर बनाई थी। फिल्म की स्क्रीनिंग कांस फिल्म फेस्टिवल और टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुई थी। द लंच बॉक्स ने क्रिटिक वीक व्यूअर्स चॉइस अवार्ड भी जीता था। यह पहली ऐसी गैर इंग्लिश फिल्म थी जो ब्रिटिश एकेडमी फिल्म अवार्ड्स के लिए नॉमिनेट हुई थी।
Koo Appजिस भाषा में मैं फूट - फूट कर रो सकता हूँ, खिलखिलाकर हँस सकता हूँ, दादी नानी से कहानियाँ सुन सकता हूँ, दुखी होने पर माँ - बाबुजी से बात कर सकता हूँ, वो भाषा जिसमें बड़े - छोटे का बोध है, सम्मान है, अपनापन है, जिसमें संस्कार हैं, क्रोध भी है - वो हिंदी मेरा अभिमान है, मेरी पहचान है.. #hindidivas #हिंदीदिवस🇮🇳🚩🇮🇳- Sunil Sawara (@Sunil_Sawara) 14 Sep 2022