इलेक्शन डेस्क, इंदौर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद वोटों की गिनती जारी है। ताजा रुझान के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। चुनाव आयोग के मुताबिक, खबर लिखे जाने तक भाजपा 106 सीटों पर आगे है। चुनावी रुझानों के मुताबिक, राजस्थान में एक बार फिर रिवाज कायम रहा और सत्तारूढ़ सरकार फिर से जीत हासिल नहीं कर सकी। राजस्थान में भाजपा की जीत के ये प्रमुख कारण हो सकते हैं।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती से पहले एग्जिट पोल में कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर दिखाई गई थी, लेकिन चुनाव परिणाम चौंकाने वाले निकले। राजस्थान में राजनीति के जादूगर अशोक गहलोत का जादू नहीं चला, बल्कि पीएम मोदी की लहर देखी गई। एग्जिट पोल में बताया गया था कि राजस्थान भाजपा में 80-100 सीटें जीत सकती है, लेकिन 106 सीटों से भाजपा आगे चल रही है, वहीं कांग्रेस 70 सीटों पर सिमटी हुई दिख रही है। राजस्थान में इस बार भाजपा ने विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर लड़ा था और चुनाव में पीएम मोदी का जादू चलते दिखा।
राजस्थान में भाजपा की जीत एक फॉर्मूला भी कामयाब रहा। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 7 सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा था। महंत बाबा बालक नाथ अलवर से सांसद थे और भाजपा ने उन्हें तिजारा विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा था। महंत बाबा बालक नाथ भी आगे चल रहे हैं। इसके अलावा जालौर की सांचौर विधानसभा सीट से भी भाजपा ने वर्तमान भाजपा सांसद देवजी पटेल को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था। बासी सीटों पर भाजपा का यह दांव सफल होते दिख रहा है।
राजस्थान में सांप्रदायिक हिंसा की बढ़ती घटनाओं के कारण भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। राजस्थान चुनाव में भाजपा ने उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड का मुद्दा खूब उठाया था। कन्हैयालाल हत्याकांड को राजस्थान की बिगड़ती कानून-व्यवस्था की तरह देखा गया।
राजस्थान में दुष्कर्म और महिला हिंसा को लेकर अपराधों की संख्या बीते सालों में काफी ज्यादा बढ़ी है। महिलाओं के प्रति अपराध को रोकने में अशोक गहलोत सरकार असफल रही है। राजस्थान बीते 3 साल से महिला हिंसा के मामलों में पहले नंबर पर है।