मुंबई। Maharashtra Government : महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक ने रविवार को फैसला किया कि कांग्रेस नेता नाना पटोले को शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में निर्विरोध चुना गया है क्योंकि भाजपा प्रत्याशी किसान कथोरे नामांकन वापस ले लिया। नामांकन वापस लेने की समयसीमा रविवार को सुबह दस बजे तक थी। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए फ्लोर टेस्ट के बाद महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए रविवार सुबह मतदान होना था।
कांग्रेस नेता नाना पटोले पहले भाजपा के साथ थे। उन्होंने पहले कहा था कि उन्हें निर्विरोध चुने जाने की उम्मीद है। विदर्भ में सकोली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले 56 वर्षीय नेता ने कहा कि उन्हें (भाजपा) को लोकतंत्र में (एक उम्मीदवार को मैदान में उतारने) का अधिकार है। मगर, महाराष्ट्र में यह परंपरा रही है कि अध्यक्ष को निर्विरोध चुना जाता है। हमें उम्मीद है कि यह परंपरा जारी रहेगी।
विधानसभा में भाजपा विधायक देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि हमने विधानसभा स्पीकर के पद के लिए किसान कथोरे को नामित किया था, लेकिन सर्वदलीय बैठक में अन्य दलों ने हमसे अनुरोध किया और यह परंपरा रही है कि स्पीकर को निर्विरोध नियुक्त किया जाता है, इसलिए हमने अनुरोध स्वीकार कर लिया और अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया।
गौरतलब है कि पटोले चार बार से विधायक रहे हैं। उन्होंने साल 2014 में कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने भंडारा-गोंदिया सीट से राकांपा के मजबूत नेता प्रफुल्ल पटेल को हराया था। हालांकि, दिसंबर 2017 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ मतभेदों के बाद भाजपा छोड़ दी और वापस कांग्रेस पार्टी में लौट गए थे।
बताते चलें कि 288 सदस्यीय विधानसभा में 169 विधायकों ने शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के महागठबंधन के पक्ष में मतदान किया, जबकि भाजपा के 105 विधायकों ने वॉकआउट किया। पूर्व किसान विंग नेता पटोले के नामांकन को कई लोग राज्य में कृषि समुदायों तक पहुंचने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं। उनके नामांकन को उनकी पार्टी द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के बीच सत्ता के संतुलन को बनाए रखने के प्रयास के रूप में भी देखा गया है क्योंकि अधिकांश शीर्ष राकांपा और कांग्रेस नेता पश्चिमी महाराष्ट्र से हैं।