MP Election Counting 2023: भाजपा सरकार के कई कद्दावर मंत्री संकट में, पिछले चुनाव में भी हारे थे 13 मंत्री
MP Election Counting 2023: वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी रूझान ने भाजपा सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों को घर बिठा दिया था। शिवराज सरकार में नंबर दो पर रहे मंत्री जयंत मलैया से लेकर दीपक जोशी तक चुनाव हार गए थे।
By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Tue, 28 Nov 2023 06:44:00 AM (IST)
Updated Date: Tue, 28 Nov 2023 07:57:45 AM (IST)
HighLights
- सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सिसौदिया, सुरेश धाकड़, राठखेड़ा, बृजेन्द्र सिंह यादव जैसे मंत्रियों को बेहद कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ा है
- वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी रूझान ने भाजपा सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों को घर बिठा दिया था।
- वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में शिवराज कैबिनेट के 13 मंत्री चुनाव हार गए थे।
MP Election Counting 2023: राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ता विरोधी रुझान एंटी इनकंबैंसी को भारतीय जनता पार्टी ने कम करने के भरसक प्रयास किए लेकिन शिवराज कैबिनेट के कई मंत्री इसकी चपेट में आ सकते हैं। इस चुनाव में भी शिवराज सरकार के कई कद्दावर मंत्री मप्र विधानसभा चुनाव हार सकते हैं।
फिलहाल पार्टियों द्वारा जो फीडबैक जुटाया जा रहा है उसके मुताबिक सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सिसौदिया, सुरेश धाकड़, राठखेड़ा, बृजेन्द्र सिंह यादव जैसे मंत्रियों को बेहद कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ा है। इसी तरह महाकोशल से मंत्री गौरीशंकर बिसेन और कांग्रेस प्रत्याशी अनुभा मुंजारे के बीच चुनाव दिलचस्प रहा है। यह पहला चुनाव नहीं है जब मंत्रियों को सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना पड़ रहा है, वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी शिवराज कैबिनेट के 13 मंत्री चुनाव हार गए थे।
वर्ष 2018 में हार गए थे कई वरिष्ठ मंत्री
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी रूझान ने भाजपा सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों को घर बिठा दिया था। शिवराज सरकार में नंबर दो पर रहे मंत्री जयंत मलैया से लेकर दीपक जोशी तक चुनाव हार गए थे। यही स्थिति वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में बन रही है। सिंधिया खेमे के मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया, सुरेश राजखेड़ा, बृजेंद्र सिंह यादव को चुनाव के दौरान ही जगह-जगह जनविरोध का सामना करना पड़ा है। ये साफ संकेत हैं कि इनका चुनाव परिणाम क्या आएगा।
सत्ता विरोधी रूझान
उज्जैन में डा मोहन यादव, बालाघाट में गौरीशंकर बिसेन, रामकिशोर कावरे, कमल पटेल, रामखेलावन पटेल, अरविंद सिंह भदौरिया, ऊषा ठाकुर, प्रेम सिंह पटेल, इंदर सिंह परमार जैसे नेताओं को भी सत्ता विरोधी रूझान का सामना करना पड़ा है। दतिया में डा नरोत्तम मिश्रा और कांग्रेस के प्रहलाद भारती के बीच भी रोचक मुकाबला हुआ है। विधानसभा चुनाव की टिकट बांटने के दौरान यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव नहीं लड़ा और ओपीएस भदौरिया का टिकट काट दिया गया था।
ये तेरह मंत्री 2018 में हारे थे
अर्चना चिटनीस उमाशंकर गुप्ता ललिता यादव जयंत मलैया शरद जैन अंतर सिंह आर्य जयभान सिंह पवैया लाल सिंह आर्य रुस्तम सिंह दीपक जोशी नारायण सिंह कुशवाहा ओमप्रकाश धुर्वे बालकृष्ण पाटीदार जैसे मंत्री 2018 में चुनाव हार गए थे। यही वजह थी कि भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी।
दिग्गजों का लड़ाया ताकि कम हो सके एंटी इनकमबैंसी
सत्ता विरोधी रूझान को कम करने के लिए ही भाजपा ने मध्यप्रदेश में तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों और कई बड़े चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा था। अगस्त और सितंबर के महीने में भाजपा ने 79 सीट पर प्रत्याशी घोषित कर दिए थे। इसकी वजह यही थी कि सत्ता विरोधी रूझान को कम किया जा सके लेकिन पार्टी ने अंतिम सूची में जब सारे मंत्री और विधायकों को टिकट दे दिए तो सत्ता विरोधी रूझान का प्रभाव और बढ़ गया था।