राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बीते दो दिन से भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की पूरी ताकत रूठों को मनाने में लगी थी। गुरुवार दोपहर तीन बजे तक नाम वापस लेने की अवधि समाप्त होने पर दोनों ही दलों में कहीं खुशी-कहीं गम की स्थिति रही।
कांग्रेस के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया और डा. आंबेडकरनगर (महू) सीट से चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। वहीं, कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू भी नाम वापस लेने के लिए तैयार नहीं हुए। यही स्थिति भोपाल उत्तर सीट पर रही। वर्तमान विधायक आरिफ अकील के भाई आमिर अकील भतीजे, आतिफ अकील और नासिर इस्लाम भी पीछे हटने को तैयार नहीं हुए। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सांसद स्व. नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान ने पार्टी छोड़कर बुरहानपुर से चुनाव लड़ने का निर्णय बरकरार रखा है तो पूर्व मंत्री रंजना बघेल और पूर्व विधायक पन्ना बाई ने नाम वापस ले लिया।
ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड अंचल की बात करें तो शिवपुरी के पोहरी से कांग्रेस के बागी प्रद्युमन वर्मा ने बसपा से चुनाव लड़ने का निर्णय वापस नहीं लिया। मुरैना से पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह भाजपा से टिकट न मिलने से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। मध्य भारत अंचल के बैतूल के भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से बागी डा.महेंद्र सिंह चौहान और आष्टा सीट से भाजपा के महामंत्री कैलाश बगाना ने नाम वापस ले लिया।
सागर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से आप में गए मुकेश जैन ढाना, बंडा से भाजपा से बगावत करके आप में गए सुधीर यादव और नरियावली विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से बगावत कर अरविंद तोमर आप से मैदान में है। पूर्व मंत्री मोती कश्यप माने, नाम वापस लिया भाजपा को बड़ी सफलता पूर्व मंत्री मोती कश्यप का नाम वापस कराकर मिली है। पूर्व मंत्री अजय विश्नोई के साथ वे निर्वाचन कार्यालय पहुंचे और अपना नाम वापस ले लिया।
जबलपुर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल, कांग्रेस की पूर्व मंत्री कौशल्या गोटिया, जमुना मरावी और शहपुरा से कांग्रेस के तोप सिंह मरावी ने भी नामांकन वापस लिया। बरगी से कांग्रेस के पूर्व विधायक सोबरन सिंह के बेटे जयकांत सिंह नाम वापस लेने तैयार नहीं हुए। नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव से पूर्व विधायक शेखर चौधरी ने अपना नामांकन पत्र वापस नहीं लिया। चौधरी को पहले कांग्रेस ने टिकट दिया था, बाद में एनपी प्रजापति को प्रत्याशी बना दिया। इससे चौधरी नाराज हैं।