भोपाल (राज्य ब्यूरो)। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर चल रही तमाम अटकलों के बीच भाजपा संसदीय बोर्ड ने मुख्यमंत्री चुनने के लिए होने वाली विधायक दल की बैठक के लिए तीन केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. के.लक्ष्मण और राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा को पर्यवेक्षक बनाया गया है।
विधायक दल की बैठक सोमवार को शाम सात बजे बुलाई गई है। इसमें मुख्यमंत्री के नाम को लेकर प्रस्ताव रखा जाएगा। उधर, भोपाल में नवनिर्वाचित विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने मुख्यमंत्री के प्रश्न पर कहा कि कोई असमंजस नहीं है। पार्टी की अपनी प्रक्रिया है।
आपको उसका इंतजार करना होगा। ताजा स्थितियों के अनुसार मतगणना के नौवें दिन मुख्यमंत्री को लेकर स्थिति स्पष्ट होगी। एक हफ्ते से सभी जगह केवल कयासों का दौर चल रहा है। अटकलों का बाजार भी गर्म है। हर कोई अपने हिसाब से संभावित मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों के नाम बता रहा है।
सभी को मालूम है कि 'कौन बनेगा मुख्यमंत्री' का जवाब केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पास ही है लेकिन फिर भी अलग-अलग फार्मूले के आधार पर नई सरकार के मुखिया के नाम पर चर्चा हो रही है। ऐसे कई फार्मूले चर्चा में हैं।
सूत्रों के अनुसार अब भी शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री की दावेदारी में सबसे ऊपर हैं। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनाव को लेकर गंभीर है और वह मध्य प्रदेश में कोई जोखिम नहीं लेना चाहेगा, ऐसी स्थिति में शिवराज सिंह पर ही दांव लगाकर पार्टी लोकसभा चुनाव में अच्छे परिणाम हासिल करने पर विचार कर रही है। शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बने रहे तो दो उप मुख्यमंत्री प्रहलाद पटेल और तुलसीराम सिलावट को बनाया जा सकता है। तुलसीराम एससी वर्ग से आते हैं।
एक अन्य फार्मूले में प्रहलाद पटेल को मुख्यमंत्री बनाकर कैलाश विजयवर्गीय को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है। ऐसी स्थिति में दो उप मुख्यमंत्री विष्णु दत्त शर्मा और ओमप्रकाश धुर्वे बनाए जा सकते हैं। तब नरेंद्र सिंह तोमर को पुन: लोकसभा चुनाव लड़ाकर केंद्र में ले जाया जा सकता है। एससी वर्ग के जगदीश देवड़ा को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। मध्य प्रदेश में भाजपा ने यह बदलाव किया तो शिवराज सिंह ओबीसी वर्ग के अग्रणी नेता बनकर केंद्र में जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री पद के लिए नरेंद्र सिंह तोमर की दावेदारी भी बताई जा रही है लेकिन पार्टी यदि सवर्ण मुख्यमंत्री बनाती है तो ओबीसी, एससी-एसटी वर्ग के साथ संतुलन बनाना चुनौती होगा। इसके लिए उप मुख्यमंत्री का फार्मूला निकाला जा सकता है। यदि पार्टी नरेंद्र सिंह तोमर को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करती है तो प्रहलाद पटेल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सत्ता-संगठन में संतुलन बनाया जा सकता है। ऐसे में विष्णु दत्त शर्मा और निर्मला भूरिया को भी उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। ऐसे में कैलाश विजयवर्गीय को लोकसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है ताकि उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया जा सके।
एक अन्य फार्मूले में गुजरात की तर्ज पर सारी कैबिनेट नए चेहरों के साथ बनाए जाने की भी चर्चा है। ऐसे में राकेश सिंह या विष्णु दत्त शर्मा को मुख्यमंत्री, निर्मला भूरिया और ग्वालियर- चंबल से एससी वर्ग के किसी विधायक को मुख्यमंत्री बनाकर जातीय और भौगोलिक संतुलन बनाया जा सकता है। राकेश सिंह पहले प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं इसलिए इन्हें भी डार्क हार्स यानी अनपेक्षित लेकिन मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। यदि गुजरात फार्मूला अपनाया गया तो नई पीढ़ी को सत्ता-संगठन सौंपकर शिवराज सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय को केंद्र में ले जाया जा सकता है।
एक अन्य फार्मूले में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा है। इसमें एससी-एसटी वर्ग से एक-एक यानी कुल दो उप मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं। ऐसे में ओमप्रकाश धुर्वे या निर्मला भूरिया और जगदीश देवड़ा या किसी एससी वर्ग के नए चेहरे को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।