MP Chunav 2023: राहुल रैकवार, नरसिंहपुर। राजनीति की धारा में बहते हुए धर्म और अध्यात्म को साधने वाले ग्रामीण परिवेश के नेता प्रहलाद सिंह पटेल की पुण्य सलिला रेवा में गहरी आस्था है। वह दो बार नर्मदा की परिक्रमा कर चुके हैं। राजनीति और धर्म के संगम वाले इस नेता की कबड्डी, वालीबाल और एथलेटिक्स में गहरी रुचि है।
1980 का दौर था, जब पटेल जबलपुर के गवर्नमेंट साइंस कालेज में थे और छात्र संघ के अध्यक्ष बने। वकालत की पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने राज्य प्रशासनिक सेवा की परीक्षा भी दी, जिसमें वे पास भी हुए।
लोक सेवा आयोग की परीक्षा में मेरिट के आधार पर उन्हें डीएसपी का पद मिला, लेकिन प्रहलाद सिंह पटेल ने कार्यपालिका में सेवा देने की अपेक्षा व्यवस्थापिका के माध्यम से सेवा करने का मार्ग चुना। वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की न्यायिक समिति के सदस्य हैं।
पांच बार के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री पटेल को उनके गृह जिले नरसिंहपुर से विधानसभा चुनाव के लिए मैदान पर उतारा गया है। यह पहली बार है जब वे अपने गृह नगर से चुनाव लड़ेंगे।
28 जून 1960 को नरसिंहपुर के गोटेगांव में जन्मे प्रहलाद सिंह अन्य पिछड़ा वर्ग के लोधी समाज से नाता रखते हैं, दमोह के वर्तमान सांसद हैं, असंगठित मजदूर संघ के अध्यक्ष तथा भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं।
छात्र संघ के अध्यक्ष बनने के बाद वह भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। पहली बार 1989 में नौवीं लोकसभा के लिए वे सिवनी से चुने गए, इसके बाद 1996 में 11वीं लोकसभा में उनका दूसरा कार्यकाल और फिर 1999 में बालाघाट से 13वीं लोकसभा में तीसरा कार्यकाल रहा।
चौथे कार्यकाल 2014 में 16वीं लोकसभा और 2019 में पांचवें कार्यकाल के तहत उन्हें दमोह से 17वीं लोकसभा के लिए चुनाव मैदान में उतारा गया और वे चुने गए।
प्रहलाद सिंह पटेल को अटल सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री (कोयला मंत्रालय) की जिम्मेदारी भी मिली। इसके बाद 2004 में उन्हें मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के खिलाफ छिंदवाड़ा से मैदान में उतारा गया, लेकिन इस बार उन्हें हार का भी सामना करना पड़ा।
इसके बाद उन्हें प्रदेश भाजपा में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले। पटेल उमा भारती के समर्थक माने जाते रहे हैं। 2005 में जब उमा भारती बागी बनीं तो भारतीय जनशक्ति पार्टी की स्थापना हुई। पटेल भी उनके साथ चले गए, लेकिन मार्च 2009 में उन्होंने भाजपा में घर वापसी कर ली।
उन्हें कई और जिम्मेदारियां दी गईं। उन्हें भारतीय जनता मजदूर महासंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारतीय जनता मजदूर मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया। 2019 में उन्हें फिर जिम्मेदारी मिली और दमोह से सांसद बने, जिसके बाद उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया।
राजनीति में आने के बाद उन्होंने वर्ष 1986 से 1990 तक युवा मोर्चा के सचिव और भारतीय जनता पार्टी, मध्य प्रदेश के महासचिव के रूप में कार्य किया। 1990 में वे खाद्य और नागरिक आपूर्ति और सलाहकार समिति, कृषि मंत्रालय की स्थायी समिति के सदस्य चुने गए।
वर्ष 1996 में उन्होंने सचेतक, भाजपा संसदीय दल लोकसभा और शहरी संबंधी स्थायी समिति के सदस्य और ग्रामीण विकास, विशेषाधिकार समिति और सलाहकार समिति, कृषि मंत्रालय में कार्य किया। वर्ष 1999 से 2000 तक वे निजी सदस्यों के विधेयकों और संकल्पों पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन और समिति संबंधी स्थायी समिति के सदस्य रहे।
वर्ष 2011 में वे तीन साल तक भारतीय जनता मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारतीय जनता मजदूर मोर्चा के अध्यक्ष रहे।