Who Will be CM of MP इलेक्शन डेस्क, इंदौर। विधानसभा चुनाव में भाजपा को स्पष्ट जनादेश मिलने के बाद अब प्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है। वर्तमान में तो सबसे मजबूत नाम शिवराज सिंह चौहान का ही है, लेकिन विधानसभा चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री बदले जाने की जो अटकलें थी, वह अब और भी तेज हो गई है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय के नाम भी सीएम पद की रेस में चल पड़े हैं। इनमें से कई नेता ऐसे है, जिन्हें न सिर्फ प्रशासनिक बल्कि संगठनात्मक अनुभव है। ऐसे में हर एक का दावा मजबूत दिखाई पड़ता है।
शिवराज सिंह चौहान के पास प्रशासन के साथ संगठनात्मक अनुभव भी है। वे भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जैसे अहम पदों पर रहे हैं। जो कि उनके संगठनात्मक अनुभवों को मजबूत बनाता है।
वे प्रदेश में चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। साथ ही वे विदिशा से सांसद रहे हैं। लिहाजा उनके पास लंबा प्रशासनिक अनुभव भी है। इसके अलावा वे जमीनी नेता भी माने जाते हैं और लोगों में उनके मामा की छवि उन्हें सीधे लोगों से जोड़ती है।
वहीं जब कमल नाथ सरकार गिरने के बाद प्रदेश में मुख्यमंत्री बनाने की बात आई तो भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हीं पर भरोसा कायम रखा। वहीं हाल के चुनाव में भी उन्होंने काफी पसीना बहाया और सर्वाधिक सभाएं की। साथ ही शिवराज द्वारा लांच लाड़ली बहना योजना ने भी चुनाव जीतवाने में अहम भूमिका निभाई। लिहाजा पांचवी बार मुख्यमंत्री बनने का उनका दावा सर्वाधिक मजबूत है।
शिवराज सिंह चौहान के बाद प्रहलाद सिंह पटेल का नाम भी सीएम की रेस में आगे है। पटेल के पास भी लंबा संगठनात्मक और प्रशासनिक अनुभव है। 20 साल की उम्र से छात्र राजनीति के जरिए अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले प्रहलाद सिंह पटेल भाजपा युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष, सचिव और जनरल सेक्रेटरी रहे हैं। इसके साथ ही भाजपा प्रदेश महासचिव भी रहे हैं।
प्रहलाद सिंह पटेल पांच बार के सांसद भी रहे हैं। उन्होने अलग-अलग संसदीय क्षेत्रों से चुनाव जीता। पटेल ने पहला चुनाव 1989 में सिवनी से लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने 1996 में दूसरा चुनाव भी सिवनी से लड़ा और जीते। अगला चुनाव उन्होने 1999 में बालाघाट से लड़ा और जीत दर्ज की। 2014 से वे दमोह से सांसद है। पटेल अटल सरकार में कोयला मंत्री रहे हैं। वहीं फिलहाल माेदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हैं।
प्रहलाद सिंह पटेल भी जमीन से जुड़े और साफ सुथरी छवि वाले नेता माने जाते हैं। साथ ही वे गुटबाजी से भी दूर रहते हैं। प्रदेश में लोगों के बीच उनकी छवि धार्मिक नेता की है। ऐसे में मुख्यमंत्री बनने के लिए उनका दावा भी मजबूत है।
नरेंद्र सिंह तोमर ने 1980 में छात्र राजनेता के तौर पर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। बाद में उन्हें भाजपा युवा मोर्चा में ग्वालियर अध्यक्ष बनाया गया। नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
नरेंद्र सिंह ताेमर को लंबा प्रशासनिक अनुभव है। तोमर अब तक दो विधानसभा और तीन लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और इन सभी में उन्हें जीत मिली है। इसके साथ ही वे राज्यसभा सांसद और विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री रहे हैं। नरेंद्र सिंह तोमर ने अपना पहला चुनाव ग्वालियर विधानसभा सीट से लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने अपने दूसरे विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की। इसके बाद 2009 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बने। 2014 में मोदी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया।
कैलाश विजयवर्गीय मालवा-निमाड़ के बड़े नेता है। वे अमित शाह के भी खास माने जाते हैं। विजयवर्गीय वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव है। उन्होंने 1993 में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और 2013 तक एक भी चुनाव नहीं हारे। विजयवर्गीय शिवराज सरकार में मंत्री भी रहे हैं। साल 2015 में उन्हें संगठन में राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी गई। जिसके बाद उन्होंने बंगाल में काफी मेहनत की और भाजपा को काफी सफलता भी दिलवाई। ऐसे में इस बार उनका नाम भी मुख्यमंत्री की रेस में है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया साल 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। जिसके बाद भाजपा को दोबारा सरकार में आने का मौका मिला। सिंधिया फिलहाल राज्यसभा सांसद और मोदी सरकार में उड्डयन मंत्री है।ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रदेश भर में प्रभाव माना जाता है। खास तौर पर ग्वालियर शिवपुरी में उनकी अच्छी पैठ है। ऐसे में उनका नाम भी मुख्यमंत्री की रेस में है।
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