Election 2023: प्रियंक शर्मा, ग्वालियर। क्या आपको पता है कि गत 17 नवंबर को हुए मतदान पर आपकी अंगुली पर लगाए गए अमिट स्याही के निशान का क्या मूल्य है? इस निशान के साथ ली गई सेल्फी की इंटरनेट मीडिया पर बाढ़ सी आ गई थी, लेकिन कम ही लोग इसकी कीमत जानते हैं।
हाथ पर लगी इस स्याही के निशान की कीमत 12 रुपये 70 पैसे है। इस हिसाब से मतदान करने वाले मध्य प्रदेश के 4.32 करोड़ मतदाताओं के हाथों पर 54.86 करोड़ रुपये से अधिक की स्याही लगी है। इस स्याही की कीमत 12700 रुपये लीटर है और एक अंगुली पर एक मिलीलीटर स्याही लगती है यानी हर मतदाता की अंगुली पर 12.70 रुपये की स्याही लगाई जाती है।
दरअसल, फर्जी मतदान रोकने और वोट डाल चुके मतदाता की पहचान के लिए यह विशेष स्याही बाएं हाथ की तर्जनी में लगाई जाती है, जो एक सेकंड के अंदर अपना निशान छोड़ती है और 40 सेकंड से भी कम समय में सूख जाती है। इसे कम से कम 72 घंटे तक मिटाया नहीं जा सकता है और कई अंगुलियों पर इसका रंग 15 दिनों तक लगा रहता है।
चुनावी स्याही को बनाने के लिए सिल्वर नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाता है। यह केमिकल पानी के संपर्क में आने के बाद काले रंग का हो जाता है और मिटता नहीं है। जब पीठासीन अधिकारी द्वारा मतदाता की अंगुली पर स्याही लगाई जाती है, तो सिल्वर नाइट्रेट त्वचा में मौजूद नमक के साथ मिलकर सिल्वर क्लोराइड बनाता है।
सिल्वर क्लोराइड पानी में घुलता नहीं है और त्वचा से जुड़ा रहता है। इसे साबुन से धोया नहीं जा सकता। यह निशान तभी मिटता है जब धीरे-धीरे त्वचा की कोशिकाएं पुरानी होकर हटने लगती हैं।
1962 से शुरू हुआ स्याही लगाने का चलन, मैसूर में होती है तैयार
नीले रंग की इस स्याही को भारतीय चुनाव प्रक्रिया में वर्ष 1962 में शामिल किया गया। दरअसल, यह स्याही कर्नाटक के मैसूर में मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड नाम की कंपनी तैयार करती है। इस कंपनी की स्थापना 1937 में की गई थी।
उस समय मैसूर प्रांत के महाराज नलवाडी कृष्णराजा वडयार ने इसकी शुरुआत की थी। वर्ष 1962 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन ने इस स्याही को निर्वाचन प्रक्रिया में शामिल कराया। अब कंपनी इलेक्शन इंक या इंडेलिबल इंक के नाम से स्याही बनाती है। कंपनी चुनावी स्याही को सिर्फ सरकार और उससे जुड़ी एजेंसियों को ही सप्लाई करती है।