भोपाल (नईदुनिया प्रतिनिधि)। पहले कांग्रेस के जमाने में आइटीआइ टपरे (झोपड़ी) में लगती थीं, इनमें बच्चे टाइम पास करने आते थे। कांग्रेस ने बच्चों को स्किल्स (कौशल) के नाम पर छला है। यह पार्क मेरा संकल्प था, जिसकी शुरुआत मैंने वर्ष 2016 में कर दी थी। मध्य प्रदेश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है। यह पार्क 600 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। ऐसे ही चार और पार्क प्रदेशभर में बनाए जाएंगे, जिससे बच्चों का कौशल विकास हो सके और उनको रोजगार मिल सके। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को संत शिरोमणि रविदास ग्लोबल स्किल्स पार्क के लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान कही।
सीएम ने रिमोट के जरिये संत रविदास की प्रतिमा का अनावरण किया। साथ ही पार्क का लोकार्पण किया। इसके अलावा जबलपुर, ग्वालियर, सागर और रीवा में बनाए जाने वाले पार्क का रिमोट से शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नौ संभागीय आइटीआइ की शुरुआत की जाएगी। इस मौके पर खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, प्रोद्यौगिकी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा, पीएचई और जनसंपर्क मंत्री राजेंद्र शुक्ल और गोविंदपुरा विधायक कृष्णा गौर मौजूद थीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018 तक पार्क का काम बेहतर चला, लेकिन वर्ष 2019 में कमल नाथ के आते ही मामला गड़बड़ा गया। इसके बाद वर्ष 2020 में फिर हम आ गए तो मामला बन गया। बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो जाएं, परिवार के मुखिया का यह सपना होता है, यह पार्क उन सपनों को पूरा करेगा। मुख्यमंत्री ने बच्चों से कहा कि पार्क में प्रवेश शुरू हो गए हैं, बच्चे इनमें प्रवेश लेकर कौशल विकास उन्नयन की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इनमें 20 अलग-अलग विषयों पर काम सिखाया जाएगा, जिससे बड़ी कंपनियों में हाथों हाथ रोजगार मिल सकेगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले महीने शुरू की गई सीखो कमाओ योजना में अब तक प्रदेशभर के नौ लाख बच्चों ने रजिस्ट्रेशन करा लिए हैं। इनको कंपनियां काम सिखाने को तैयार हैं, इसके बाद इन्हें रोजगार मिल जाएगा। इसलिए रखा पार्क का नाम संत रविदास मुख्यमंत्री ने बताया कि हमने ग्लोबल स्किल्स पार्क का नाम संत रविदास इसलिए रखा है, क्योंकि वह जूते-चप्पल बनाने का काम करते थे। वह भी स्किल्ड थे, इतने बड़े संत थे कई राजा और मीरा बाई उनकी शिष्य थीं। उनका कहना था कि ऐसा चाहूं राज्य मैं, जहां मिले सभी को अन्न, छोट-बड़ सब संग रहें, रविदास रहे प्रसन्न। कोई भूखा न रहे, कोई छोटा नहीं, कोई बड़ा नहीं, सब समान रहें।