भोपाल, नईदुनिया स्टेट ब्यूरो। कांग्रेस के आला नेता अब तक यह बात पचा नहीं पा रहे है कि हार जीत का फासला इतना बड़ा कैसा हो सकता है। मुख्यमंत्री कमलनाथ सार्वजनिक तौर पर 22 सीटों पर जीत का दावा करते रहे हैं, लेकिन कांग्रेस को जीत मिली एक सीट पर वह भी पार्टी से ज्यादा व्यक्तिगत कही जाएगी। प्रदेश की 29 में से 15 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की हार का आंकड़ा तीन लाख से ज्यादा रहा। पांच लाख से ज्यादा हारने वालों की संख्या तीन है, जबकि एक लाख से अंदर हारने वाले महज दो ही उम्मीदवार निकले। इसके विपरीत लाज बचाने के लिए कांग्रेस जिस एक सीट पर जीत पायी वहां आंकड़ा 37 हजार से थोड़ा ही ज्यादा था। मोदी लहर का वेग कितना तीव्र था इसका अंदाजा भाजपा और कांग्रेस को मिले मतों के कुल अंतर से समझा जा सकता है। इस बार भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले 87 लाख मत ज्यादा मत मिले।
कांग्रेस के लिए ये चुनाव परिणाम किसी सदमे से कम इसलिए भी नहीं है, क्योंकि पार्टी की प्रथम एवं द्वितीय पंक्ति के लगभग सभी नेता धराशायी हो गए। ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजयसिंह, अजय सिंह, विवेक तनखा, कांतिलाल भूरिया, अरुण यादव, रामनिवास रावत, मीनाक्षी नटराजन जैसे नाम अपने-अपने क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवारों के सामने टिक नहीं पाए। भाजपा के उम्मीदवारों की जीत का आंकड़ा इतना बड़ा था कि हारने वाले को हजम ही नहीं हो रहा। दिग्विजयसिंह जैसे कद्दावर नेता को राजनीति की नौसिखिया कही जाने वाली साध्वी प्रज्ञा ने साढ़े तीन लाख से ज्यादा मतो से पराजित कर दिया। तो सिंधिया को कभी उनके अनुयायी रहे केपी यादव ने सवा लाख के बड़े अंतर से हराया। एक लाख से कम जीत कुल तीन हुई। एक छिंदवाड़ा दूसरी रतलाम और तीसरी मंडला सीट पर।
कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं के पराजय के बाद संकट यह हो गया है कि भविष्य में संगठन की कमान कौन संभालेगा? कुछ नेता विधानसभा चुनाव में पराजित हो गए तो कुछ दोनों चुनावों में पराजित होकर अपनी संभावनाओं को विराम लगा चुके हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ पिछले एक साल से पीसीसी के अध्यक्ष भी है। विधानसभा चुनाव के बाद नए अध्यक्ष के चयन की बात उठी थी, लेकिन तब यह कह कर अध्यक्ष का मसला नहीं छेड़ा गया था क्योकि आलाकमान नए विवाद नहीं चाहता था। अब चूंकि लोकसभा चुनाव निबट गए हैं, इसलिए नए सिरे से संगठन की रचना करना होगी। उस स्थिति में नए नेतृत्व के लिए पार्टी को बड़ी मशक्कत करना होगी।
हार के बाद दोषारोपण की सियासत
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के भीतर ही एक दूसरे पर दोषारोपण की सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस कोषाध्यक्ष गोविंद गोयल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधा है, सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने सवाल उठाया है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए समय नहीं दे पाने की बात कही थी तब कुछ नेताओं ने उनसे माह में केवल एक घंटे का समय देने का आग्रह किया था। गोयल ने कहा कि अब उनसे रिपोर्ट लेनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि गोयल ने दिग्विजय सिंह को राजगढ़ के बजाए भोपाल सीट से लोकसभा चुनाव में उतारने पर भी सवाल उठाया था। इस मामले में भी उन्होंने परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री कमलनाथ पर ही निशाना साधा था। गोयल की इन दोनों टिप्पणियों की राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा रही।