आशीष मिश्रा, छिंदवाड़ा। वर्तमान मुख्यमंत्री और पूर्व सांसद कमलनाथ ने छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ बना रखा है। पिछले चुनाव में मोदी लहर के बावजूद कमलनाथ ने जीत हासिल की है। अभी कांग्रेस ने भले ही प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, लेकिन सीएम कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ धुआंधार चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। अभी तक 30 से ज्यादा सभाएं कर चुके हैं। वहीं बीजेपी की बात करें तो वह तय नहीं कर पाई है कि प्रत्याशी स्थानीय होगा या बाहरी। अगर पार्टी ने बाहरी प्रत्याशी उतारा तो पूर्व सीएम शिवराजसिंह चौहान या प्रहलाद पटेल को प्रत्याशी बनाया जा सकता है।
वहीं अगर स्थानीय प्रत्याशी को मैदान में उतारा गया तो पूर्व विधायक चौधरी चंद्रभान सिंह और पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कन्हाईराम रघुवंशी के नाम हो सकते हैं। गोंगपा से गठबंधन को लेकर भी भाजपा में बात चल रही है, ऐसे में मनमोहन शाह बट्टी भी प्रत्याशी हो सकते हैं। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीट छिंदवाड़ा, सौंसर, पांढुर्णा, चौरई, जुन्नारदेव, अमरवाड़ा और परासिया शामिल हैं। यह लोकसभा क्षेत्र भौगोलिक रूप से पहाड़ी क्षेत्र है।
तामिया, अमरवाड़ा और हर्रई ब्लॉक की गिनती आदिवासी बहुल क्षेत्र में होती है। अभी तक छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में 16 बार चुनाव हुए। इमरजेंसी और राम मंदिर की लहर में भी कांग्रेस ने सीट नहीं गंवाई। सिर्फ 1997 के उपचुनाव में कमलनाथ को पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
लोकसभा चुनाव के मुद्दे
पलायन : जिले में बड़े पैमाने पर हो रहा पलायन भी चुनावी मुद्दा बनता रहा है। हर साल रोजगार की तलाश में युवा दूसरे जिलों और महाराष्ट्र में जाने को मजबूर हैं। वहीं कई कंपनियां बंद भी हो रही हैं।
बंद होती कोयला खदानें : पेंच और कन्हान क्षेत्र में कोयला खदानें हैं। कन्हान क्षेत्र में सिर्फ चार खदान वर्तमान में चालू हैं। वहीं पेंच क्षेत्र में 11 खदानें हैं। कोयला मंत्री ने खदान खुलवाने की बात कही थी, लेकिन अभी तक नहीं खुली।
संतरा किसान बर्बाद : सौंसर में बड़े पैमाने पर संतरे की पैदावार होती है। यहां के किसानों को संपन्न् वर्ग में रखा जाता है, लेकिन बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, आंधी से संतरे की पैदावार पर असर पड़ा है, जिससे किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है।
कानून व्यवस्था : बिगड़ती कानून व्यवस्था भी चुनावी मुद्दा है। हत्या, बलात्कार के मामले बड़े पैमाने पर सामने आए। हाल ही में चौरई में कांग्रेस नेता पर ही बंदूक तान दी गई थी। इसके अलावा रेप की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।
भ्रष्टाचार : आदिवासी क्षेत्र होने के कारण यहां बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं। परासिया, चांद और अमरवाड़ा नगर परिषद में भ्रष्टाचार को लेकर शिकायतें आई। परासिया नगर पालिका अध्यक्ष गीता यादव को तो हटा दिया गया। जनपद पंचायत और तमाम शासकीय महकमे में भी भ्रष्टाचार की शिकायत आती रही है।