कभी कुख्यात उल्फा उग्रवादी रहे सरनीया नबा कुमार ने समाज की मुख्य धारा में लौटकर चुनाव लड़ा और जीत कर अपनी लोकप्रियता दिखाई। सरनीया को स्थानीय लोग हीरा के नाम से भी जानते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे और रिकॉर्ड मतों से विजेता बने। इसके बाद 2019 में भी वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे। इस बार भी उन्हें भारी मतों से विजय प्राप्त हुई। वह कोकराझार लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। इसी का नतीजा रहा कि असम लोकसभा चुनाव में किसी भी निर्दलीय प्रत्याशी ने कभी भी तीन लाख से भी ज्यादा मतों के भारी अंतर से चुनाव नहीं जीता था। इससे पहले सरनीया प्रतिबंधित संगठन उल्फा से जुड़े थे और उन्हें खतरनाक उग्रवादी माना जाता था। 1990 में वह मुख्यधारा में लौट आए।
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