विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम "मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार" रखी गई है। यह थीम सटीक बैठती है क्योंकि स्वस्थ रहना हमारा मौलिक अधिकार है। लेकिन सवाल यह है कि हम स्वस्थ कैसे रहें? शोध बताते हैं कि 98% रोग मनोदैहिक (Psychosomatic) होते हैं। इसका अर्थ है कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य का सीधा असर शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।
अच्छी खबर यह है कि स्वास्थ्य को हम अपने भीतर स्थापित कर सकते हैं। योग, प्राणायाम, सुदर्शन क्रिया और ध्यान जैसे शोध-आधारित अभ्यासों से मानसिक स्वास्थ्य का पोषण होता है। ये अभ्यास तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में अत्यधिक प्रभावी हैं।
विशेष रूप से सुदर्शन क्रिया के संबंध में निमहांस (NIMHANS) द्वारा किए गए शोध यह दर्शाते हैं कि इसका अभ्यास अवसाद कम करने में उतना ही प्रभावी हो सकता है जितनी कि दवाएं (antidepressants)। निन्हेंन्स के शोधकर्ताओं ने पाया कि सुदर्शन क्रिया का अभ्यास करने वाले अवसाद से ग्रस्त व्यक्तियों के दो तिहाई लोगों में 4 सप्ताह के बाद अवसाद के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए। इतना ही नहीं, निन्हेंन्स के एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि सुदर्शन क्रिया का अभ्यास न केवल अवसाद कम करता है बल्कि तनाव हार्मोन कोर्टिसोल के स्तर को भी कम करता है। तीन महीनों के नियमित अभ्यास से कोर्टिसोल का स्तर 23% कम हो गया और छह महीने बाद यह कमी 37% तक पहुंच गई।
भारत में मानसिक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में निमहांस (NIMHANS) जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की हर जिले में स्थापना समय की मांग है। साथ ही हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी पहल करनी चाहिए।
याद रखें, स्वस्थ रहना आपका अधिकार है। आइए, मिलकर अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें और खुशहाल जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।
ऋतु राज असाटी, आर्ट ऑफ़ लिविंग प्रशिक्षक एवं मानसिक स्वास्थ विशेषज्ञ