Surajpur News: सिविल न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण में भी नामांतरण, पक्षकार ने लगाया गंभीर आरोप
पैतृक भूमि से लगभग 25 एकड़ भूमि को पटवारी और तहसील कार्यालय के अधिकारियों से मिली भगत बिक्री कर दिया गया। जमीन खरीदी बिक्री की भनक लगते ही भूमि स्वामी के द्वारा तत्काल न्यायालय में आवेदन दे न्याय की गुहार लगाने लगा।
By Asim Sen Gupta
Publish Date: Mon, 03 Jun 2024 11:52:47 AM (IST)
Updated Date: Mon, 03 Jun 2024 11:52:47 AM (IST)
पक्षकार जितेंद्र सिंह HighLights
- पक्षकार ने लगाया गंभीर आरोप।
- तहसील न्यायालय के कामकाज पर उठे सवाल।
- मामले में प्रभारी तहसीलदार प्रशिक्षु डिप्टी कलेक्टर नीरज कौशिक से चर्चा करने पर कहा की जो भी आरोप मुझ पर लगे वह बेबुनियाद है।
नईदुनिया न्यूज, लखनपुर । सरगुजा जिले के लखनपुर तहसील क्षेत्र में राजस्व विभाग का कामकाज विवादों में घिरता जा रहा है। विशेष संरक्षित पहाड़ी कोरवाओं की जमीन -खरीद बिक्री तथा पेड़ों की कटाई के मामले में कोई कार्रवाई नहीं करने वाला राजस्व विभाग अपनी कार्यशैली से पक्षकारों का विश्वास खोता जा रहा है। एक ओर राजस्व न्यायालयों में पारदर्शिता के लिए पहल हो रही है उधर लखनपुर तहसील न्यायालय पर नियम विरुद्ध तरीक़े से आदेश जारी करने का आरोप लग रहा है। ताजा मामला ग्राम तराजू का है।
यहां सिविल न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण में भी तहसील न्यायालय ने हस्तक्षेप किया। बकायदा नामांतरण का आदेश भी जारी कर दिया। तराजू निवासी जितेंद्र सिंह ने प्रभारी तहसीलदार प्रशिक्षु डिप्टी कलेक्टर पर प्रकरण में नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया है। उधर तहसीलदार ने सारे आरोपों को बेबुनियाद और निराधार बताया है।
जितेंद्र सिंह ने बताया कि जिस जमीन की खरीद बिक्री को लेकर सिविल न्यायालय में मामला विचाराधीन है,उसपर हस्तक्षेप किया गया। सिविल न्यायालय के प्रकरण की प्रति तहसील न्यायालय में जितेंद्र सिंह के अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया था। सिविल न्यायालय में मामला विचाराधीन होने के उपरांत तहसीलदार तथा भूमाफिया से मिली भगत कर नामांतरण कर दिए जाने का आरोप लगा है।
दावा किया गया है कि किसी भी भू राजस्व संहिता के मामले में उच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन होता है। तो तहसील न्यायालय में नामांतरण जैसे मामले को करने का अधिकार नहीं रहता है परंतु मिली भगत से जमीन को खरीद बिक्री कर नामांतरण करने का आरोप अधिवक्ता जितेन्द्र सिंह ने लगाया है।
तहसील कार्यालय में नामांतरण सहित अन्य दस्तावेजों की नकल मांगे जाने पर नकल नहीं दिया गया इसके उपरांत सरगुजा कलेक्टर के पास नकल के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया तब जाकर आधी अधूरा जानकारी उपलब्ध कराई गई। इस मामले में अगर सूक्ष्म जांच की जाए तो कई तथ्य सामने आएंगे और बड़े पैमाने पर पैसे का खेल कर जमीन की खरीद बिक्री कर दी गई।
पीड़ित पक्षकार जितेंद्र सिंह का आरोप है
पैतृक भूमि से लगभग 25 एकड़ भूमि को पटवारी और तहसील कार्यालय के अधिकारियों से मिली भगत बिक्री कर दिया गया। जमीन खरीदी बिक्री की भनक लगते ही भूमि स्वामी के द्वारा तत्काल न्यायालय में आवेदन दे न्याय की गुहार लगाने लगा।
मामले में प्रभारी तहसीलदार प्रशिक्षु डिप्टी कलेक्टर नीरज कौशिक से चर्चा करने पर कहा की जो भी आरोप मुझ पर लगे वह बेबुनियाद है। साथ ही उन्होंने कहा कि सिविल न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने के बाद अगर सिविल न्यायालय से स्टे नहीं है तो जमीन नामांतरण का किया जा सकता है। आरोप पूरी तरह से सत्यता से परे है।
वर्जन आरोप बेबुनियाद है। सिविल न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण में अगर स्थगन आदेश नहीं है तो नामांतरण किया जा सकता है। नीरज कौशिक प्रभारी तहसीलदार व प्रशिक्षु डिप्टी कलेक्टर,लखनपुर