आरक्षण मुद्दे को लेकर आदिवासी समाज दंतेवाड़ा से रायपुर तक करेगा पदयात्रा, राज्यपाल और सीएम से करेंगे मुलाकात
रायपुर में 12 फरवरी को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद आदिवासी समाज के प्रमुख मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर आरक्षण पर चर्चा करेंगे।
By Ashish Kumar Gupta
Edited By: Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Sun, 29 Jan 2023 03:34:06 PM (IST)
Updated Date: Sun, 29 Jan 2023 03:34:06 PM (IST)
सुकमा। छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण मुद्दा एक फिर से गरमा गया है। आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग को लेकर सर्व आदिवासी समाज बस्तर के दंतेवाड़ा से राजधानी रायपुर तक पदयात्रा करने जा रहा है।
30 जनवरी को दंतेवाड़ा से दंतेश्वरी मंदिर में पूर्जा अर्चना के बाद पदयात्रा की शुरुआत होगी।
आदिवासी समाज ने दी उग्र प्रदर्शन की चेतावनी
बस्तर का सर्व आदिवासी समाज इस पदयात्रा में शामिल होगा। रायपुर में 12 फरवरी को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद आदिवासी समाज के प्रमुख मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर आरक्षण पर चर्चा करेंगे। इतना ही नहीं आदिवासी नेताओं ने 32 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था की बहाली तक उग्र प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। उक्त जानकारी सुकमा सर्व आदिवासी समाज के उपाध्यक्ष वेको हुंगा ने दी है। इस दौरान आदिवासी नेता राजकुमार तामो की मौजूद रहे।
बिल पर हस्ताक्षर नहीं होने से आदिवासी समाज नाराज
पत्रकारों से चर्चा करते हुए आदिवासी नेता वेको हुंगा ने बताया कि राज्यपाल की अनुमति से 1 और 2 दिसंबर 2022 को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था जिसमें एसटी 32 प्रतिशत, ओबीसी 27, एससी को 13 और ईडब्ल्यूएस को चार प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के लिए बिना प्रस्तुत किया गया। बिल पारित होने के बाद राज्यपाल के पास बिल हस्ताक्षर के लिए सौंपा गया। लगभग दो माह बीत जाने के बाद भी बिल पर हस्ताक्षर नहीं किया गया। आरक्षण का लाभ नहीं मिलने से प्रदेश के आदिवासियों को शिक्षा व अन्य प्रकार का नुकसान हो रहा है। जिस कारण आदिवासी समाज बहुत ही निराश और उद्वेलित है।
आरक्षण कटौती के लिए भाजपा जिम्मेदार
उन्होंने कहा कि आरक्षण पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए भाजपा नेता ननकीराम कंवर की अध्यक्षता में एक समिति बनी थी, जिसको तत्कालीन सीएम डा. रमन सिंह ने न्यायालय में जमा नहीं किया। समय पर रिपोर्ट पेश नहीं किये जाने से ही आरक्षण में कटौती हुई है। इसके लिए भाजपा पूरी तरह से जिम्मेदार है। भाजपा के 15 साल के कार्यकाल में केवल जनता को परेशान करने का काम किया है। बस्तर में सलवा जुडूम अभियान में सैकड़ों आदिवासियों को मार दिया गया। निर्दोष आदिवासियों को जेल भेज दिया गया। सत्ता पाने भाजपा ने आदिवासी विरोधी काम किये। केंद्र की भाजपा सरकार भी जनता को धोखे में रखकर सत्ता हासिल की है।