नईदुनिया न्यूज सुकमा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में चार नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। सुकमा पुलिस ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिले में चार नक्सलियों कुंजाम हिड़मा, कुंजाम गंगा, उईका एंका और पोड़ियाम गुरूवा ने सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर कर दिया। नक्सलियों ने लाल आतंक का साथ छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।
अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों में कुंजाम हिड़मा (42 वर्ष), जो मेहता आरपीसी मिलिशिया के सदस्य हैं, और कुंजाम गंगा (26 वर्ष), जो गोमपाड़ आरपीसी मिलिशिया के सदस्य हैं, शामिल हैं। दोनों ने सीआरपीएफ 217 वाहिनी द्वितीय कमान अधिकारी विरेन्द्र कुमार एवं निरीक्षक अभिलाष टंडन, प्रभारी डीआरजी जिला सुकमा के समक्ष बिना हथियार के आत्मसमर्पण किया।
इसी प्रकार, उईका एंका (34 वर्ष) और पोड़ियाम गुरूवा (22 वर्ष) ने भी मेहता थाना कोंटा क्षेत्र से आत्मसमर्पण किया। उन्होंने भी निरीक्षक अविलाश टंडन और 208 कोबरा वाहिनी के निरीक्षक अनिल कुमार के समक्ष बिना हथियार आत्मसमर्पण किया।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने और उनके पुनर्वास के लिए सहायता प्रदान करती है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को इस नीति के तहत सहायता राशि और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएगी।
एक दिन पहले सोमवार को नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में तीन और नक्सलियों ने हथियार डालकर समर्पण किया। इन तीनों नक्सलियों पर पुलिस ने दो-दो लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। समर्पण करने वाले नक्सलियों की पहचान 35 वर्षीय आयता उर्फ नंदू माड़वी, हिड़मा माड़वी और 29 वर्षीय देवा हेमला के रूप में हुई है। ये तीनों मलंगीर एरिया कमेटी में सक्रिय थे और नक्सल गतिविधियों में लंबे समय से लिप्त थे।
दंतेवाड़ा के एसपी गौरव राय ने इस समर्पण की पुष्टि की। नंदू माड़वी पर अलग-अलग स्थानों पर पुलिस पार्टी पर गोलाबारी करने का आरोप है। वह कई मुठभेड़ों में शामिल रहा है। वहीं, हिड़मा माड़वी पिछले साल दिसंबर में ग्राम गोगुंडा पांतापारा के जंगल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में भी सक्रिय रूप से शामिल था।
दंतेवाड़ा जिले में अब तक कुल 880 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला किया है, जिनमें से 204 नक्सली इनामी थे। पुलिस का "घर वापस आइए" अभियान नक्सलियों के आत्मसमर्पण में बड़ी भूमिका निभा रहा है।