रोहित देवांगन
राजनांदगांव (नईदुनिया)
बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता का असर बेटियों के साथ लोगों में भी दिखने लगा है। वहीं बेटियों ने बाल विवाह प्रथा पर सतर्कता का प्रहार किया है। जिले में बाल विवाह में काफी कमी आई है। इसकी मुख्य वजह बेटियों में जागरूकता आना माना जा रहा है।
तीन साल में जिले में 37 बाल विवाह के मामले सामने आए हैं। चाइल्ड लाइन व महिला एवं बाल विकास विभाग ने सभी बाल विवाह का रूकवा दिया। यहीं नहीं संबंधित स्वजनों को बाल विवाह के नुकसान व कानून की भी जानकारी दी गई। कोरोना लाकडाउन के दौरान अधिक बाल-विवाह की कोशिश की गई। लेकिन विभाग व लोगों की सतर्कता के चलते कई मामले में टीम मौके पर पहुंचकर बारातियों को चौखट से लौटा दिया॥ इधर, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-फाइव (एनएफएचएस-फाइव) के आंकड़ों के अनुसार राजनांदगांव जिले में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों का विवाह (बाल विवाह) का आंकड़ा साल 2015-16 में जहां 17.2 प्रतिशत था, वह घटकर साल 2020-21 में 3.8 प्रतिशत पर आ गया है। यानी ऐसे मामलों में 14 फीसद की कमी दर्ज की गई है, जो अच्छा संदेश है।
वनांचल में अधिक मामलेः सबसे अधिक मामले वनांचल के हैं। तीन साल के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो शहर से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह के मामले सामने आए हैं। वर्ष 2020 में लाकडाउन में कई शादियां हुई। इस दौरान स्वजन बाल विवाह करने का भी प्रयास किया। लेकिन अफसरों की सजगता के चलते विवाह टल गया। पंचायत स्तर से ही बाल विवाह के रोकथाम के लिए लगातार विभागीय निगरानी की जा रही है।
अफसर लगातार रख रहे नजरः बाल विवाह में अफसर पैनी नजर रख रहे हैं। वहीं बच्चों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। चाइल्ड लाइन की टीम एवं महिला बाल विकास विभाग के अफसर गांवों में जाकर ग्रामीणों को बाल-विवाह से होने वाले नुकसान को बता रहे हैं। साथ ही बच्चों के अधिकारों की जानकारी दे रहे हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-फाइव में बाल विवाह में जो 14 फीसद की कमी आई है उसके पीछे जागरुकता का बड़ा हाथ है। लोगों ने जागरूकता का परिचय देते हुए बाल विवाह रुकवाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है।