छुईखदान। पोला त्योहार को अब एक दिन बचा है। शहर सहित आसपास के ग्रामीण इलाके में पोला बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसलिए सप्ताहिक बाजार मे मिट्टी से बने बैल अलग-अलग रंगों के साथ डिजाइन मे एवं मिट्टी से बने पोला और खिलौने जैसे, चूल्हा, मटका, कढाई, गंजी, अन्य प्रकार केमिट्टी से बने बर्तनों के बाजार सज गए हैं। शहर के मूर्तिकार घासी कुंभकार ने बताया कि पोला 30 से 40 व बैल 30 से 40 से 50 रुपये व पोला के साथ अन्य खिलौने पांच से 10 रुपये में बिक रहे हैं। छत्तीसगढ़ अपनी संस्कृति और त्योहारों के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यहां के प्रमुख त्योहारों में से एक त्योहार है पोला, जिसे हर साल भादो की अमावस्या को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें अन्नादाता के साथी यानी बैल को सजाकर विशेष पूजा की जाती है। दरअसल, यह त्योहार कृषि आधारित पर्व है। वास्तव में इस पर्व का मतलब खेती-किसानी, जैसे निंदाई-रोपाई आदि का कार्य समाप्त हो जाना है, लेकिन कई बार अनियमित वर्षा के कारण ऐसा नहीं हो पाता है। बैल किसानों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। किसान बैलों को देवतुल्य मानकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं। पोला त्योहार मनाने के पीछे यह कहावत है कि अगस्त माह में खेती-किसानी का काम समाप्त होने के बाद इसी दिन अन्ना माता गर्भ धारण करती है। यानी धान के पौधों में इस दिन दूध भरता है इसीलिए यह त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार पुरुषों-स्त्रियों एवं बच्चों के लिए अलग-अलग महत्व रखता है। इस दिन पुरुष पशुधन (बैलों) को सजाकर उनकी पूजा करते हैं।
कृषि कार्य में बैल का विशेष योगदान : छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है इसलिए यहां कृषि कार्य में बैल का विशेष योगदान होता है, जहां बोआई से लेकर बियासी तक किसान बैल का उपयोग करते हैं। पोला मिट्टी के बैल की पूजा करने के बाद बच्चे मिट्टी के बर्तनों और मिट्टी के बैलों के साथ खेलते हैं। पोरा तिहार मूल रूप से खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है। खेती किसानी में बैल और गोवंशीय पशुओं के महत्व को देखते हुए इस दिन उनके प्रति आभार प्रकट करने की परंपरा है।
घरों में बनती है पारंपरिक व्यंजनः गांवों में बैलों को विशेष रूप से सजाया जाता है। उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। घरों में बच्चे मिट्टी से बने नंदी बैल व बर्तनों के खिलौनों से खेलते हैं। घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़-चीला, गुलगुल भजिया जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं व उत्सव मनाया जाता है।