रायपुर। World Suicide Prevention Day 2022 : प्रदेश में एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट के अनुसार आत्महत्या की सालाना दर देश के औसत से दोगुनी है। यह रिकार्ड चौंकाने वाले हैं पर एक दूसरा आंकड़ा भी है जो प्रदेश में आत्महत्या की घटनाओं के दौरान पुलिस के काम की चुनौतियों को साबित करता है।
दरअसल, चार साल पहले राज्य में डायल 112 की स्थापना की गई। इसका मकसद किसी भी घटना पर तुरंत मदद पहुंचाने का था। यह योजना इतनी कारगर रही है कि चार साल में आत्मघाती कदम उठाने वाले 27 हजार 271 लोगों की जानें बचाई गई है। एक काल और सिर्फ दस मिनट का समय लेकर जान बचा आसान नहीं होता है। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस कुछ जवानों ने बयां की कहानी, जिनकों उन्होंने नया जीवन दिया।
सात मिनट में पहुंचे, ट्रेन गुजरी तो मिली राहत
पुलिस जवान भारतेंद्र साहू ने बताया कि उरला थाने में सात महीने पहले रात 10 बजे घंटी बजी। पता चला खमतराई पटरी पर एक व्यक्ति आत्महत्या करने जा रहा है। सात मिनट के अंदर टीम पहुंची। देखा तो सामने से ट्रेन आ रही थी। तुरंत ही उसे खींचकर पटरी से उतार ले आए। ट्रेन निकली तो राहत की सांस ली। इसी बीच वह दोबारा दूसरी ट्रेन की ओर लपका। किसी तरह दौड़कर उसे बचाया। समझाइश दी और फिर घर पहुंचाया।
फंदे पर झूल चुका था, दरवाजा तोड़ बचाना पड़ा
आरक्षक दिलीप बघेल ने बताया, बीएससी कालोनी भाठागांव में आठ महीने पहले रात 11 बजे एक युवक की पत्नी ने काल कर सूचना दी। उसके पति ने दरवाजा बंद कर लिया है और आत्महत्या करने जा रहे हैं। सात-आठ मिनट के अंदर हम पहुंचे। दरवाजा तोड़कर देखा तो वह व्यक्ति फंदे पर झूल चूका था। तुंरत पैर पकड़कर उसे उतारा गया। उसकी हालत गंभीर थी। अस्पताल ले गए, जहां उसकी जान बची।
खुद काल कर बताया, मरने जा रहा हूं
जवान राजेश सिंह ने बताया कि रात दस बजे एक युवक का काल आया की उसका दोस्त आत्महत्या करने जा रहा है। प्रेम-प्रसंग व घरेलू वजह से परेशान था। तुरंत ही टीम वहां पहुंची। युवक को ढूंढना शुरु किया। काफी खोजबीन के बाद आधे घंटे बाद वह रेलवे पटरी की ओर जाता मिला। उसे समझाने का काफी प्रयास किया गया लेकिन वह घर जाने के लिए तैयार नही हो रहा था। उसे किसी प्रकार समझाकर घर छोड़ा गया।
फैक्ट फाइल
जिलेवार स्थिति जहां पुलिस ने बचाई जान
बस्तर-846
बिलासपुर-4161
दुर्ग-3796
जांजगीर-चांपा-2696
कबीरधाम-821
कोरबा-2136
महासमुंद-1969
रायगढ़-2380
रायपुर-4657
राजनांदगांव-2220
सरगुजा-1589
इसे नहीं किया जा सकता नजरंदाज
800,000 लोग विश्व में हर साल करते हैं आत्महत्या (डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट)
40 सेकेंड की दर से एक व्यक्ति करता है आत्महत्या
15 से 29 साल आयु के आंकड़े ज्यादा
26.4 लोग छत्तीसगढ़ में एक लाख लोगों में आत्महत्या का औसत ( एनसीआरबी की रिपोर्ट)
12 भारत का 1 लाख की आबादी में औसत
2 गुना औसत प्रदेश का राष्ट्रीय औसत से
प्रोफेशनल और करियर प्राब्लम सबसे ऊपर
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार आत्महत्या के जो कारण सबसे अधिक सामने आए उनमें प्रोफेशनल और करियर प्राब्लम सबसे ऊपर है। कोरोनाकाल के बाद आत्महत्या की घटनाओं में बढोतरी हुई है। समाज और परिवार की तरफ से अलग-थलग कर दिए जाना, एकाकी हो जाना इसका एक कारण हो सकता है। शारीरिक शोषण, हिंसा, पारिवारिक समस्या, मानसिक बीमारी, नशे की लत, वित्तीय नुकसान, लंबे समय की शारीरिक समस्याएं, बीमारी आदि भी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार कारण हैं।
विशेषज्ञ की सलाह: नौ बिंदुओं में समझें क्या करें
डा. वर्षा वरवंडकर, मनोवैज्ञानिक
- आत्महत्या का ख्याल किसी व्यक्ति में अचानक नहीं आता। यह एक आवेग होता है। जब व्यक्ति बहुत परेशान होता है या बहुत निराश रहता है, तो उसके आसपास मौजूद लोगों की जिम्मेदारी होती है वह उसे दूर करें।
- अगर जरूरत पड़े तो किसी प्रोफेशनल की मदद लें।
- कई बार सब कुछ नार्मल दिखता है, लेकिन अचानक कोई आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है। स्माइलिंग डिप्रेशन को हमें समझना होगा। खामोश रहने वाले लोगों को हमें समझना होगा और उनसे बातचीत करनी होगी।
- बच्चो को मौत का विकल्प चुनने की जगह, जिंदगी का सामना करने के लिए समझाना होगा।
- अपनी हिम्मत और साहस का उपयोग जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए कहिए ।
- काउंसलिंग, दवाएं और थेरेपी आदि के जरिए आत्महत्या को रोका जा सकता है। हो सकता है कुछ सेशन तक लगातार काउंसलर के पास जाना पड़े।
- सामान्य अवस्था में दिनचर्या में एक्सरसाइज शामिल रखें। खासतौर पर ब्रीदिंग एक्सरसाइज, मेडिटेशन आदि जरूर करें।
- परिवार और दोस्तों का सपोर्ट सिस्टम बनाए रखने की कोशिश करें।
- रोज डायरी लिखने जैसी जर्नलिंग की आदतें भी मन हल्का करती है। अपने आपको किसी रचनात्मक कार्य में व्यस्त रखें।