जोगी को जाति प्रमाणपत्र देने वाले अफसर ने कहा-मेरी कोई गलती नहीं
इसमें परिवार में किसी एक स्थान पर भी ब्रेक होता है या जाति का उल्लेख नहीं मिलता तो प्रमाणपत्र जारी नहीं हो सकता।
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Publish Date: Tue, 04 Jul 2017 10:36:17 PM (IST)
Updated Date: Wed, 05 Jul 2017 08:34:19 AM (IST)
रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को 'कंवर"(आदिवासी) का प्रमाणपत्र बिलासपुर के तत्कालीन अपर कलेक्टर एचपी किंडो ने दिया था। किंडो का कहना है-'मैंने प्रमाणपत्र सरकार की गाइड लाइन के हिसाब से ही जारी किया था। नियमों के पालन में कहीं कोई गलती नहीं की।" जोगी ने 2001 में मरवाही उपचुनाव का नामांकन दाखिल करने से पहले यह जाति प्रमाणपत्र मुख्यमंत्री रहते हुए हासिल किया था।
राज्यसेवा से आईएएस बने किंडो संयुक्त सचिव के पद से 2013 में सेवानिवृत्त हुए हैं। 'नईदुनिया" टेलीफोन पर हुई बातचीत में किंडो ने कहा कि जाति प्रमाणपत्र शासन की गाइड लाइन के अनुसार आवेदक द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज के आधार पर जारी किया गया था।
प्रमाणपत्र जारी करने में कोई गलती नहीं की गई है। जाति प्रमाणपत्र के आवेदन की प्रक्रिया उनके वकीलों ने पूरी की, लेकिन इस दौरान जोगी भी कुछ देर के लिए कलेक्टोरेट आए थे।
कठिन है जाति प्रमाणपत्र का नियम
इस बीच राजस्व विभाग के अफसरों के अनुसार जाति प्रमाण पत्र जारी करने का नियम बहुत सख्त है। जाति प्रमाणपत्र के लिए सरकार ने लंबी-चौड़ी गाइड लाइन जारी कर रखी है। इसमें उन दस्तावेजों की सूची है, जिसके आधार पर प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।
इनमें ज्यादातर दस्तावेज पूर्वजों या खानदान जानने के बाद ही हासिल किया जा सकता है। रायपुर में लंबे समय तक तहसीलदार रहे एक अधिकारी ने बताया कि उपलब्ध कराए गए दस्तावेज के आधार पर वंशवृक्ष तैयार किया जाता है। इसमें परिवार में किसी एक स्थान पर भी ब्रेक होता है या जाति का उल्लेख नहीं मिलता तो प्रमाणपत्र जारी नहीं हो सकता।