रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। Dog Bite: राजधानी में बारिश से श्वानों का आतंक बढ़ गया है। इधर, श्वानों के कटने की शिकायत भी लगातार सामने आ रही है। नगर निगम द्वारा हर साल बारिश के सीजन में श्वानों की धरपकड़ की जाती है। अभी निगम का दावा है कि शहरभर में एक माह में 350 से अधिक की धरपकड़ कर नसबंदी कराई गई है। वहीं, शनिवार को 15 श्वानों की धरपकड़ की गई।
जानकारी के अनुसार, राजधानी के विभिन्न वार्डों की कॉलोनियों, बस्तियों, मोहल्लों, मुख्य मार्गों से डॉग कैचर टीम द्वारा धरपकड़ की जा रही है। शनिवार को निगम स्वास्थ्य विभाग की डाग कैचर टीम ने कटोरा तालाब, शांति नगर, विनोबा भावे नगर समेत कई जगहों पर श्वानों की धरपकड़ कर उन्हें डॉग कैचर वाहन की सहायता से बैरन बाजार के पशु चिकित्सालय पहुंचाया। जहां डाक्टरों की टीम ने इन सभी की नसबंदी की।
मार्निंग वाक में जाने वाले लोग सहमे
श्वानों के झुंड का झुंड होने के कारण इस समय मार्निंग वॉक जाने वाले लोग सहम गए हैं। झुंड को देखकर कई बार लोग आगे जाने के बजाय लोग आधे रास्ते से ही वापस लौटना उचित समझ रहे हैं। प्रोफेसर कॉलोनी के मुकेश साहू, टिकेश्वर सिन्हा आदि लोगों ने बताया कि रिंग रोड वन में नियमित रूप से मार्निंग वॉक में जाते हैं, लेकिन बारिश होने के कारण श्वान दौड़ाने लगते हैं। कई बार झुंड को देखकर वापस घर आना पड़ता है।
रात के समय में और खुंखार
रात के समय इनका आतंक इतना बढ़ जाता है कि गाड़ियों के पीछे से दौड़ाने लगते हैं। दोपहिया वाहन में सवार लोगों का सबसे ज्यादा खतरा बना रहता है। कई बार लोग श्वानों के आतंक के कारण गिरकर चोटिल भी हो जाते हैं।
मांस दुकानों के पास ज्यादा
राजधानी में श्वानों का आतंक सबसे ज्यादा मांस-मटन के दुकानों के पास देखने को मिलता है। यहां झुंडों में 10 से अधिक कुत्ते एक साथ रहते हैं।
आंबेडकर अस्पताल में एंटी-रैबीज दवाओं की समस्या
आंबेडकर अस्पताल में एंटी-रैबीज दवाओं की समस्या है। अस्पताल की पीआरओ शुभ्रा सिंह ठाकुर ने बताया कि यहां 1000 एंटी-रैबीज वैक्सीन है। वहीं, 1800 से अधिक महीने की खपत है। मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. आरएल खरे ने बताया कि ठंड और बारिश का मौसम कुत्तों के प्रजनन का समय होता है। ऐसे समय में कुत्ते काटने के मामले अधिक आते हैं। सामान्य दिनों की अपेक्षा यह संख्या चार से पांच गुना अधिक होती है। ऐसे में एंटी-रैबीज दवाओं की मांग भी बढ़ जाती है। इधर, जिला अस्पताल 1500 एंटी-रैबीज दवाओं की उपलब्धता है।